7वां वेतन आयोग – सरकार जारी कर सकती है ये फरमान

नई दिल्‍ली, केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18000 रुपए से 26000 रुपए करने की मांग के बीच इस राज्‍य के शिक्षकों के लिए बुरी खबर है. ओडि‍शा में 7वें वेतन आयोग की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों के लिए राज्‍य सरकार एक फरमान जारी कर सकती है. वह ‘नो वर्क नो पे’ की नीति अपना सकती है या‍नी जो शिक्षक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी तनख्‍वाह काटी जाएगी. नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजेडी सरकार ने कर्मचारियों को इसके लिए आगह कर दिया  है.

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एक वेबसाइड के मुताबिक ओडि‍शा अकेला राज्‍य नहीं है जहां शिक्षक सैलरी 7वें वेतनमान की‍ सिफारिशों के अनुरूप करने की मांग कर रहे हैं. जम्‍मू-कश्‍मीर में भी शिक्षक इसके लिए कई माह से प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्‍होंने इस हफ्ते दिल्‍ली में जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया था. यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारी 7वें वेतनमान का लाभ उठा रहे हैं.

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उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस साल दिवाली या जनवरी 2019 में उनकी बेसिक सैलरी बढ़ाने की घोषणा हो सकती है. उनकी मांग फिटमेंट फैक्‍टर को 2.57 गुना से बढ़ाकर 3.68 गुना करने की है. इससे उनकी न्‍यूनतम बेसिक पे 18000 से बढ़कर 26000 रुपए हो जाएगी. हालांकि इस पर केंद्र सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं मिला है. मार्च में वित्‍त राज्‍य मंत्री पी राधाकृष्‍णन ने साफ कहा था कि केंद्र सरकार न्‍यूनतम पे और फिटमेंट फैक्‍टर को बढ़ाने पर कोई विचार नहीं कर रही है. साथ ही नई पेंशन योजना को हटाने की भी मांग कर रहे हैं.

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केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन ऑल इंडिया प्रोटेस्‍ट डे नेशनल ज्‍वाइंट काउंसिल ऑफ एक्‍शन ने सितंबर मध्‍य में ऑल इंडिया प्रोटेस्‍ट डे बुलाया था. इसके खिलाफ कार्मिक विभाग  ने सख्‍त आदेश जारी किया था. उसने कहा था कि जो भी कर्मचारी इसमें भाग लेंगे उनका भत्‍ता काट लिया जाएगा. साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की जाएगी. डीओपीटी ने अपने निर्देश में कहा था कि सभी केंद्रीय कर्मचारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे इस विरोध प्रदर्शन से दूर रहें. यह सीसीएस  नियम, 1964 के रूल 7 का उल्‍लंघन है.

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