मोदी सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी देने वाली है। एक जनवरी 2016 से उनका बेसिक वेतन 20000 रुपए से कम नहीं होगा। सातवां वेतन आयोग अपनी सिफारिशों को अन्तिम रूप देने में लगा है।
वेतन आयोग के सूत्र बताते हैं कि वह मौजूदा बेसिक वेतन करीब 7750 को न्यूनतम 20000 रुपए करने जा रहा है। न्यायाधीश अशोक माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग को इसी साल 31 दिस बर तक अपनी रिपोर्ट देनी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि वह कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही अपनी रिपोर्ट दे देगा।
केंद्र सरकार के करीब 48 लाख कर्मचारियों व 55 लाख पेंशनरों की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर नजर है। देश में केंद्रीय वेतनमान के आधार पर ही राज्यों में भी सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह तय होने की परंपरा के कारण राज्यों के करोड़ों कर्मचारी भी माथुर वेतन आयोग की सिफाारिशों को लेकर उत्सुक हैं।
तिगुना होगा न्यूनतम वेतन
सैलरी के लिहाज से कर्मचारियों के अलग-अलग तबकों में सबसे ज्यादा संख्या अल्पवेतनभोगियों की है, यानि वेतन आयोग की सिफारिशों में भी सबसे ज्यादा उत्सुकता इस बात को लेकर है कि न्यूनतम वेतन क्या तय किया जाता है। ऊपर के कैडर का वेतन भी इस न्यूनतम वेतन पर ही तय होगा। छठेे वेतन आयोग में बेसिक व ग्रेड पे मिला कर न्यूनतम बेसिक वेतन करीब 7750 रुपए है। अभी कर्मचारियों को 119 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है जो नए वेतन स्लैब में शामिल हो जाएगा। साथ ही आगामी 10 साल की मुद्रास्फीदी को ध्यान में रखें तो नया न्यूनतम बेसिक वेतन इससे ज्यादा होगा। सूत्र बताते हैं कि इस गणित के हिसाब से सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक वेतन 20000 से अधिक किया जा रहा है।
अफसर-चपरासी की जेब का अन्तर घटेगा?
जानकार सूत्रों के अनुसार वेतन आयोग के सामने बड़े व छोटे कर्मचारियों के बीच सैलरी के अंतर को संतुलित करने की भी चुनौती है। माना जाता है कि बड़े नीतिगत निर्णय व नई सोच से नवाचार का काम बड़े अफसर करते हैं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर अमल में लाने का काम छोटे कर्मचारियों पर निर्भर करता है। गुड गवर्नेंस के लिए दोनों के बीच समन्वय जरूरी है और दोनों की सैलरी में भारी अन्तर से छोटे कर्मचारियों में पैदा हुई कुण्ठा का सरकारी कामकाज पर गहरा असर पड़ता है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। देश की आजादी से पहले उत्तरदायी अंतरिम सरकार के दौर में आए पहले वेतन आयोग में न्यूनतम व अधिकतम बेसिक वेतन के बीच 41 गुना (1:41) का अन्तर था जो छठे वेतन आयोग तक आते आते 12 गुना (1:12) तक रह गया है। माना जा रहा है कि सातवां वेतन आयोग इस अंतर को और कम कर सकता है।