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मुलायम सिंह यादव के ऐसे हैं गुरू, जिनसे आप भी मिलना चाहेंगे रूबरू

लखनऊ, समाजवादी पार्टी के संस्थापक व वरिष्ठ राजनेता मुलायम सिंह यादव की गिनती देश के वरिष्ठतम राजनेताओं में होती है। बिना किसी राजनैतिक बैकग्राउंड के, केवल अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर दशकों से देश की राजनीति , विशेषकर यूपी की राजनीति मे छाये रहे मुलायम सिंह यादव जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञ के कौन गुरू हो सकतें हैं, जिनका आज भी नेताजी दिल से सम्मान करतें हैं? जी हां , ऐसी ही खास शख्सियत का नाम है डा0 उदय प्रताप सिंह यादव। 

डा0 उदय प्रताप सिंह यादव एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका आंकलन किसी एक क्षेत्र विशेष से नही किया जा सकता है। वे बहु आयामी व्यक्तित्व के धनीं हैं। उदय प्रताप सिंह की पहचान एक  लोकप्रिय कवि, साहित्यकार, समाजसेवी तथा राजनेता के रूप में हैं। प्यार से लोग उन्हें गुरूजी के नाम से भी संबोधित करतें हैं।

उदय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी ग्राम गढिया छिनकौरा  में 1 सितम्बर 1932 को हुआ था। जबकि राज्य सभा की आधिकारिक वेबसाइट में उनकी जन्मतिथि 18 मई 1932 दी गयी है।  बहरहाल उनका जन्म सन् 1932 में हुआ था, यह निश्चित है। उनकी माता पुष्पा यादव व पिता डॉ॰ हरिहर सिंह चौधरी थे।

उन्होंने 20 मई 1958 को डा0 चैतन्य यादव से शादी की और उनके एक बेटा और तीन बेटियां हैं। उनके पुत्र डॉ0 असीम यादव, एमएलसी रहे हैं। उन्होने आगरा ग्रेजुएट ज़ोन से 2015 में समाजवादी पार्टी टिकट पर विधान परिषद चुनाव जीता । वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी सहयोगी हैं।डा0 उदय प्रताप सिंह सेंट जॉन कॉलेज , आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में और हिंदी में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद, सन 1958 में जैन इंटर कॉलेज, करहल में अंग्रेजी के व्याख्याता बन गए। वहां उन्होंने  समाजवादी पार्टी के संस्थापक, मुलायम सिंह यादव को भी पढ़ाया ।

आप राजनीतिक पार्टी जनता दल (1989–91), समाजवादी जनता पार्टी (1991–92) और 1992 से समाजवादी पार्टी के सदस्य रहे हैं। आपको नौवीं (1989–91) और दसवीं लोक सभा (1991-1996) के सदस्य के रूप में चुना गया था । उनका चुनाव क्षेत्र मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से था। जिसे उन्होंने 1996 में अपने पूर्व छात्र, मुलायम सिंह यादव,के लिए छोड़ दिया था। आपने वर्ष 2002-2008 के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से  उत्तर प्रदेश से राज्य सभा का प्रतिनिधित्व किया। आप विभिन्न संसदीय समितियों के अलावा, वे शैक्षिक निकायों के सदस्य भी रहे हैं। आप नवंबर 2002 से भारत सरकार के एक विभाग राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य रहे । आप समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार में  उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

उदय प्रताप सिंह हिंदी कविता और राजनैतिक प्रचार में रुचि रखते हैं। वह स्वयं हिंदी के प्रख्यात कवि हैं, उन्होंने भारत और अन्य जगहों पर कवि सम्मेलन में भाग लिया है। सूरीनाम में 1993 के विश्व हिन्दी सम्मेलन के प्रतिनिधि मण्डल का उन्होंने नेतृत्व किया। वे देश विदेश में पिछले पैंतालिस वर्षों से कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं और भाषायी एकता का मुद्दा उठाते रहे हैं। उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये विभिन्न कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर के साथ बुलाया जाता है। उन्होंने कविताओं के अलावा कई गजलों और गीतों की भी रचना की है।  उन्होने समाजवादी पार्टी के लिए कई चुनावी गीतों की भी रचना की है। सपा के थीम सांग ‘मन से हैं मुलायम…’ को मुलायम के गुरु व सांसद उदय प्रताप सिंह ने लिखा है। वे अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।

उनकी कुछ लोकप्रिय रचनायें-

1-न तेरा है न मेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है।
नहीं समझी गयी ये बात तो नुकसान सबका है॥….

2- कभी-कभी सोचा करता हूँ वे वेचारे छले गये हैं।
जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गये हैं॥….

3-पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है।

नये खिवय्ये कहीं न समझें , नदी का पानी उतर गया है।….

4-ऐसे नहीं जाग कर बैठो तुम हो पहरेदार चमन के,
चिंता क्या है सोने दो यदि सोते हैं सरदार चमन के,

जिनको आदत है सोने की उपवन की अनुकूल हवा में,
उनका अस्थि शेष भी उड़ जाता है बनकर धूल हवा में,
लेकिन जो संघर्षों का सुख सिरहाने रखकर सोते हैं,
युग के अंगड़ाई लेने पर वे ही पैग़म्बर होते हैं,…..