नयी दिल्ली,राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भौगोलिक सीमाओं और काल खंड में नहीं बांधा जा सकता है तथा उनकी प्रासंगिकता सदैव निर्विवाद रही है और अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनके जीवन से सीख लें तथा उनकी शिक्षाओं को अपने आचरण में अपनाएं।
श्री कोविंद ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को व्यापक स्तर पर मनाने हेतु गठित राष्ट्रीय समिति की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पिछले लगभग डेढ़ साल में इस समिति के मार्गदर्शन में देश.विदेश में बापू के विचारों तथा जीवन.मूल्यों को जन.जन तक पहुंचाने में व्यापक सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति ने गांधी जयंती समारोहों तथा अभियानों को सफल बनाया है और मुझे यह जानकारी प्रसन्नता है कि श्री मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्वच्छता में आस्था को एक जन.आंदोलन बना दिया। इसी जन.भागीदारी के बल पर देश को स्वच्छ रखने का गांधीजी का सपनाए पाँच वर्ष से भी कम समय में साकार हो रहा है।
देश को ष्खुले में शौच से मुक्तष् करने की दिशा में प्राप्त की गई सफलता एक बहुत बड़ी सामूहिक उपलब्धि है। इस संदर्भ में कुछ और महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान पर्यावरण पर ष्सिंगल.यूज.प्लास्टिकष् के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ी है। गांधी.जयंती से जुड़े अनेक कार्यक्रमों में युवाओं के उत्साह से यह भरोसा होता है कि गांधीजी की विरासत हमारी अगली पीढ़ियों के हाथों में सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने आजीवन मानवता के हित में कार्य किया और अपनी लेखनी के माध्यम से अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाया। उनका सम्पूर्ण लेखन 100 खंडों में ष्द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधीष् के नाम से अंग्रेजी में और ष्सम्पूर्ण गांधी वाङ्मयष् के नाम से हिन्दी में प्रकाशित किया गया है। गुजराती में उनके सम्पूर्ण लेखन को ष्गांधीजी.नो अक्षरदेहष् का बहुत सार्थक नाम दिया गया है। गांधीजी का जीवन ही उनका संदेश था।
उन्होंने कहा कि पिछले सौ वर्षों की अवधि में विश्व.समुदाय में गांधीजी के विलक्षण व्यक्तित्व और दूरदर्शी विचारों के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ा है। अपनी विदेश यात्राओं में गांधीजी के चित्रों और प्रतिमाओं को देखना मेरे लिए सुखद अनुभूति रही है। जाम्बिया की यात्रा के दौरान वहां के प्रथम राष्ट्रपति श्री केनेथ कौंडा से मिलने का अवसर मुझे मिला और उनके अध्ययन.कक्ष में भी मुझे गांधीजी की एक तस्वीर देखने को मिली। सुदूर पूर्व में आस्ट्रेलिया से लेकर विश्व के पश्चिमी छोर पर स्थित चिली समेत कई देशों में मुझे गांधीजी की प्रतिमाओं के अनावरण का तथा उनसे जुड़े समारोहों में सम्बोधन करने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ है। विश्व.समुदाय के लिए गांधीजी एक प्रकाश.स्तम्भ की तरह हैं। गांधीजी ऐसे विकास के हिमायती थे जो मानवता और प्रकृति दोनों के लिए हितकारी हो।