अदालत के इस फैसले पर कोई हुआ खुश तो किसी के छलके आंसू
March 19, 2020
नयी दिल्ली, आज अदालत के एक फैसले पर कोई खुश हुआतो किसी के आंसू छलक पड़े। दिल्ली की निचली अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्याकांड मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी, जिससे एक ओर जहां पीड़िता का परिवार खुश नजर आया वहीं दूसरी ओर दोषी अक्षय की पत्नी के आंसू छलक आए।
निर्भया की मां आशा देवी ने आदेश पर खुशी व्यक्ति करते हुए कहा कि कल दोषियों की फांसी के बाद उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिल जाएगी। उन्होंने कहा, ”मैं खुश हूं। मेरी बेटी के साथ हुए अपराध के सात साल बाद मुझे न्याय मिला है। आखिरकार अब दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा। अब जाकर मुझे सुकून मिलेगा।”
वहीं, दूसरी ओर इस मामले में मौत की सजा पाए अक्षय कुमार की पत्नी ने यहां पटियाला हाउसकोर्ट के बाहर फूट-फूटकर रोते हुए कहा कि उसे और उसके नाबालिग बेटे को भी फांसी पर लटका देना चाहिये। अक्षय की पत्नी ने हाल ही में बिहार फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। उसने कहा कि वह ”बलात्कारी की विधवा” की पहचान के साथ जीना नहीं चाहती।
अदालत के बाहर उसने कहा, ”मैं भी न्याय चाहती हूं। मुझे भी मार दो। मैं जीना नहीं चाहती। मेरा पति निर्दोष है। समाज उनके पीछे क्यों पड़ा है? हम इस उम्मीद के साथ जी रहे थे कि हमें न्याय मिलेगा लेकिन बीते सात साल से हम रोज मर रहे हैं।” वह खुद को सैंडल से पीटने लगी, जिसके बाद अदालत के बाहर मौजूद वकीलों ने उसे ढांढस बंधाया। इस बीच पीड़िता के वकील जितेन्द्र ने कहा कि दोषी किसी भी रहम के लायक नहीं है, हालांकि उसकी पत्नी सहानुभूति की हकदार है।
उन्होंने कहा, ”अक्षय हमारे समाज का सदस्य है। हर किसी को अप्राकृतिक मौतों से दर्द होता है, लेकिन अक्षय किसी रहम के लायक नहीं। उसकी पत्नी अपराध में शामिल नहीं थी। वह अपने पति को खो देगी और मुझे उससे हमदर्दी है।” अपने आठ साल के बच्चे के साथ आई अक्षय की पत्नी ने न्यायाधीश से कहा कि उसे न्याय नहीं मिल रहा। उसने कहा, ”मुझे और मेरे बेटे को भी फांसी दे दो। हम कैसे जी पाएंगे?”
उसने कहा, ”मैं भी न्याय चाहती हूं। मेरे और बेटे के बारे में तो सोचिये।” इसपर न्यायाधीश ने कहा, ”यहां निर्भया की मां भी मौजूद हैं। आप उनसे अपनी बात कहिये।” आदेश सुनाए जाने के बाद देवी चार महिला पुलिसकर्मियों और अपने वकील के साथ बाहर चली गईं।