कोविड19 की वजह से भारतीय खिलाड़ियों को नया लक्ष्य निर्धारित करना होगा


इस बारे में भारतीय ओलंपिक टीम के फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर अरविंद यादव का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार होगा कि पेशेवर खेल खेलने वाले हर एक पेशेवर एथलीट एक ही फिटनेस स्तर पर होंगे, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि जगह की कमी के कारण भारतीयों को “शारीरिक नुकसान” हो सकता है।
डॉक्टर अरविन्द यादव जो बेंगलुरु बुल्स के भी फिजियो हैं, वे कहते हैं कि “शारीरिक बाधाएं जो अब भारतीय खिलाड़ियों को लग रही हैं, जो अमेरिका, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया या ब्रिटेन के लोगों की तुलना में बहुत अधिक है क्योंकि यहाँ पर जगह कि एक अविश्वसनीय बाधा है।”
खिलाड़ी फिटनेस के लिए सक्षम नहीं
चूंकि कोरोना वायरस ने कई देशों में महामारी फैला दी है, इसलिए अधिकांश देश पूरी तरह से लॉकडाउन हैं। हर कोई घर के अंदर रहने के लिए बाध्य है। भारतीय खिलाड़ियों को मैदान, जिम या पूल पर अपने नियमित कसरत के लिए बाहर जाने और प्रशिक्षित करने की सुविधा नहीं मिल रही है। इसलिए वो अपनी फिटनेस के लिए चिंतित है। अधिकांश भारतीय खिलाड़ी के घर पर जिम की व्यवस्था नहीं हैं, इसलिए वे अपनी नियमित फिटनेस को कर पाने में सक्षम नहीं हैं। इसके विपरीत विदेशी खिलाड़ी काफी भाग्यशाली हैं क्योंकि उनके पास घर में जिम और पूल के लिए खुद की सुविधा है। जो उन्हें घर के अंदर कसरत करने में मदद कर रहे हैं।
बेहतर फॉर्म को बनाए रखना हुआ मुश्किल
किसी भी खिलाड़ी के लिए भी लंबे समय अपने आप को बेहतर फॉर्म को बनाए रखना बहुत मुश्किल है क्योंकि हर कोई जुलाई 2020 की तैयारी के हिसाब से कोशिश कर रहा था । अभी वो लक्ष्य 2021 में बदल गया है जो 12 महीने का लंबा ब्रेक है जहां खिलाड़ी को कई उतार-चढ़ाव से जाना होगा।
चोट की आशंका
संपर्क खेल जैसे मुक्केबाजी, कुस्ती, हॉकी जैसे खेल चोटों के लिए सबसे अधिक संभावीत है, प्रत्येक खिलाड़ी के लिए उन्हें चोटों से मुक्त रखने के लिए सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। ट्रेनिंग की लोड की मात्रा को एक समान प्रारूप में रखनी होगी और जो अच्छे है उन्हें प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़ोर्म बनाए रखने में मदद करेगा। गैर-प्रभाव वाले खेल जैसे भाला फेंक, तीरंदाजी शूटिंग, बदमिंटन , एथलेटिक्स भी चोटों से मुक्त नहीं हैं क्योंकि प्रदर्शन को बढ़ावा देने और और विजय प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी ज़्यादा ट्रेनिंग करने की कोशिश करते है जहाँ चोट की आशंका ज़्यादा बनी रहतीहै।
उम्र का बढ़ता पड़ाव
खिलाड़ी जो पहले से ही उम्र के उस दहलीज़ पर है जहाँ यह ओलंपिक उनका आख़िरी पड़ाव है, उन्हें एक और वर्ष के लिए फिट रखने के लिए सबसे बड़ा तनाव है क्योंकि प्रतियोगिता के दौरान युवा खिलाड़ी के साथ खुद को प्रतिश्पराधित करना मुश्किल है। तीरंदाज़ी में तरुणदीप राय, जयंत तालुकदार और बोम्बायला देवी लेशराम जैसे खिलाड़ी जो पहले से ही 30 से ऊपर हैं और यह उनका वह अपने अंतिम ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। शूटर संजीव राजपूत और मेराज अहमद खान 30 से ऊपर हैं और अंतिम ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं।
मानसिक दृढ़ता पर काम करना
ओलंपिक अभी 23 जुलाई 2021 में है और सभी लोगों ने 2020 के लिए जितना प्रयास किया था वह समय बर्बाद हो गया! अब उन्हें नया लक्ष्य निर्धारित करना होगा जो मानसिक रूप से बहुत आसान काम नहीं है। प्रत्येक को शांत रहना है और अपने तनाव, निराशा और मानसिक दृढ़ता पर काम करना है, ताकि वे अपने स्वयं के सर्वश्रेष्ठ संस्करण बन सकें। इसलिए खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मुक्त करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।
1. उन्हें गहरी साँस लेने वाले व्यायाम करने चाहिए,
2. अपनी भावनाओं को साझा करे जिससे उन्हें मदद मिलेगी।
3. मज़बूत बनने के लिए शांत मन से सोच-समझ कर संकल्प करे।