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सोनिया गांधी के सरकार को दिये गये सुझावों पर, मीडिया संस्थानों की तीखी प्रतिक्रिया

नयी दिल्ली,  मीडिया संस्थानों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दो साल तक सरकारी विज्ञापन नहीं दिये जाने के सरकार को दिये गये सुझाव की आलोचना की है।

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ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरिन्दर सिंह ने बुधवार को कहा कि श्रीमती गांधी के मीडिया को विज्ञापन देना बंद करने का सुझाव पूर्णतः अव्यावहारिक और मीडिया विरोधी है। उन्होंने कहा कि ऐसे सुझाव वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाचार पत्रों के समक्ष उत्पन्न विषम परिस्थितियों के मद्देनजर उपयुक्त नहीं हैं।

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उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों का प्रकाशन पहले से ही बेहद संकट के दौर से गुजर रहा है। देश में प्रिंट मीडिया पिछले कई वर्षों से संक्रमण काल में गुजर रहा है। कई समाचार पत्र पहले से ही बंदी की कगार पर खड़े हैं। पिछले वर्षों में अखबारों में प्रयुक्त होने वाले न्यूज प्रिंट पर लगाए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने प्रकाशकों की कमर तोड़ दी है। सरकारी तथा निजी क्षेत्र के विज्ञापनों से लगातार राजस्व प्राप्तियां घटती जा रही हैं। ऐसे में देश की राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष का ऐसा रवैया देश के मीडिया तंत्र को समाप्त करने वाला है।

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श्री सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि ऐसे सुझावों को नजरअंदाज करें तथा देशहित में फैसले लें। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस समय कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के संक्रमण से जूझ रहा है और देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। इन परिस्थतियों का मुकाबला करने के लिए पूरा देश एकजुट है। उन्होंनेे कहा कि मीडिया संस्थान खासतौर पर लघु एवं मझौले समाचार पत्र अपने निजी संसाधनों के बल पर जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश कोरोना वायरस के संक्रमण सेे उत्पन्न इस संकट पर जल्द विजय प्राप्त करेगा।

श्रीमती गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को अपना पांच सूत्रीय सुझावों का पत्र भेजा था जिनमें वित्तीय खर्चों में कटौती के साथ-साथ दो वर्षों तक मीडिया को विज्ञापन जारी न करने का सुझाव भी था।

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