नई दिल्ली, मेक इन इंडिया के तहत अमेरिकी लड़ाकू विमान के निर्माण के प्रस्ताव से ज्वाइंट जेट इंजन के विकास परियोजना के भविष्य को अमेरिका ने जोड़ दिया है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हाल के दौरे के दौरान पेंटागन ने औपचारिक रूप से सभी विकल्पों को पेश किया जिसमें उच्च कोटि के हथियारों, रडार व पावर प्लांट टेक्नोलॉजी की शेयरिंग भी शामिल है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक देश में जेट बनाने के लिए भारत अब औपचारिक रूप से अमेरिकी कंपनियों बोइंग (एफ/ए18 सुपर हॉर्नेट) और लॉकहीड मार्टिन (एफ16 सुपर वाइपर) से दो प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगा। इसके लिए टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के लिए पेंटागन ने भी लिखित तौर पर आश्वासन दिया है। पर्रिकर के दौरे से जेट विमान परियोजना को फिर से नई शुरुआत मिली है। भारत जिस जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मांग कर रहाा था उसके लिए भी आश्वासन मिला है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर दिसंबर के शुरुआत तक इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए भारत आ सकते हैं। इस चर्चा में भाग लेने वाले ने कहा कि गत अप्रैल माह में जब दो अमेरिकी कंपनियों ने मेक इन इंडिया प्लान के लिए दो जेट का ऑफर दिया था तो वाशिंगटन ने इस बात पर विरोध किया था कि कितना टेक्नोलॉजी को शेयर किया जा सकेगा। हालांकि अब की परिस्थितियों से यह जाहिर हो रहा है कि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम में भारत की एंट्री हो गई है और मिलिट्री साजो-सामान समर्थन समझौते में शामिल होने से चीजें भी बदल गई हैं।