लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार से सवाल किया है कि क्या डेढ़ साल की सरकार रोजगार दे पायेगी ?
उन्होने कहा है कि कोरोना संकट की विकट स्थितियों से निबटने में भाजपा सरकार पूरी तरह विफल रही है। इस महामारी के दौर में बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोजगारी की ओर सरकार का ध्यान मामले को टालने का दिखाई देता है।
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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को बताना होगा कि करोड़ों बेरोजगारों को कितने वर्षों में रोजगार मिल सकेगा? जबकि भाजपा सरकार का कार्यकाल डेढ वर्ष ही बचा है। उन्होने कहा कि भाजपा की राज्य सरकार की टीम इलेवन ने श्रमिकों को मनरेगा और गांव के दूसरे उद्योगों में खपाने का जो निर्णय लिया है वह पूर्णतया अव्यवहारिक है। उससे प्रदेश में असंतोष और आक्रोश बढ़ेगा। पहले से ही यहां संगठित क्षेत्रों में छंटनी और असंगठित क्षेत्रों में नौकरी के अभाव से बेरोजगारी चरम पर है। जब बेरोजगारी झेल रहे नौजवानों को न तो नौकरी न ही बेकारी भत्ता मिल पा रहा है तो दूसरे राज्यों एवं उत्तर प्रदेश के महानगरों में रोजगार के लिए भटक रहे गांवों के करोड़ों बेरोजगार नौजवानों को कहां से रोजगार में खपाया जा सकेगा? भाजपा की यह जुमलेबाजी इस बार बहुत भारी पड़ेगी।
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अखिलेश यादव ने कहा कि लाॅकडाउन में सरकार के जबानी आदेशों के बावजूद लोगों की आजीविका का भी संकट है। भाजपा सरकार यहां भी अपने चरित्र के अनुसार भविष्य के सुनहरे सपनों में समाज के विभिन्न वर्गों को भटकाने में लग गई है। वह कोरोना संकट से उत्पन्न स्थितियों का न तो सही आंकलन कर पा रही है और नहीं समाधान के सही रास्ते तलाश करने में सक्षम है।
भाजपा सरकार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के मामले में भेदभाव बरत रही है। अति निम्न वर्ग के गरीबों को कोई पूछने वाला नहीं है। वे भुखमरी झेल रहे हैं। जनता के आक्रोश के डर से भाजपा के कार्यकर्ता मारे शर्म के मुंह छुपाए बैठे हैं। आज जनता समझ गई है कि भाजपा गरीबों और कमजोरों के साथ नहीं है। मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन के पास बेकारों का सही-सही आंकड़ा भी नहीं है, उन्हें यह भी पता नहीं कि कितने अर्ध-बेरोजगार नौजवान है।