नयी दिल्ली, मुसीबत मे फंसे प्रवासी मजदूरों से मोदी सरकार मजाक कर रही है। लॉक डाउन के करीब 40 दिन बाद सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर लाने का एक फैसला लिया लेकिन वह भी आधा अधूरा है। ये आरोप कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर लगाया है।
कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के लिए जो फरमान जारी किया है वह अंधेरे में तीर चलाने जैसा है जिसमें सरकार को पता ही नहीं है कि कितने लोग अपने घरों को लौटना चाहते हैं और उनकी वापसी के लिए कितने वाहनों की जरूरत पड़ेगी।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लॉक डाउन के करीब 40 दिन बाद सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर लाने का एक फैसला लिया लेकिन वह भी आधा अधूरा है और इसमें मजदूरों की घर वापसी के पुख्ता इंतजाम नहीं है। सरकार को मालूम ही नहीं है कि कितने मजदूर कहां फंसे हैं और कितने घर वापसी के इच्छुक हैं, उनके लिए कोई व्यवस्था रणनीतिक ढंग से नहीं बनायी गयी है।
उन्होंने कहा कि अकेले बिहार और उत्तर प्रदेश से ही 40 से 45 लाख प्रवासी मजदूर तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र आदि राज्यों में हैं। राजस्थान कहता है कि उसके ढाई लाख प्रवासी हैं। इसी तरह से पंजाब में चार लाख, ओडिशा में सात लाख असम के डेढ़ लाख प्रवासी श्रमिक जगह जगह फंसे हैं। पूरी स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार के पास प्रवासी मजदूरों को लेकर कोई योजना ही नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को बसें भेजकर अपने श्रमिक लाने काे कहा है। उन्होंने केंद्र सरकार के 29 अप्रैल को इस संबंध में जारी आदेश को ‘तुगलकी फरमान’ बताया और कहा कि इसमें कहीं नहीं कहा गया है कि इस पूरी प्रक्रिया में केंद्र सरकार की किस तरह की भूमिका होगी। उन्होंने इसे जिम्मेदारी से भागने का प्रयास बताया और कहा कि केंद्र के इस आदेश के जरिए प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों में भेजने में किसी तरह की गड़बड़ी होने का ठीकरा राज्यों के सिर फोड़ने की कोशिश है।
उन्होंने कहा कि यह आदेश केंद्र सरकार के कुप्रबंधन और अदूरदर्शिता का परिणाम है। यदि उसमें प्रवासी श्रमिकों के प्रति कोई लगाव होता तो दो चरणों के लॉकडाउन के दौरान उनकी व्यवस्थित घर वापसी का इंतजाम कर लिया होता। दो दिन पहले उसने अचानक प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने का फरमान जारी किया तो उसमें कहीं कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। सरकार को यह काम चरणबद्ध तरीके से तथा व्यवस्थित तरीके से करना चाहए था लेकिन ऐसा लगता है कि यह कदम हड़बड़ी में उठाया गया है।