नयी दिल्ली, देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले दोगुने होने की दर बढ़कर 12 दिन हो गई है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के केन्द्र सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। मार्च में लॉकडाउन से पहले यह दर 3़ 2 दिन थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में इस समय 130 हॉटस्पॉट जिले, 284 गैर-हॉटस्पॉट जिले और 319 गैर-संक्रमित जिले हैं। इन जिलों को ग्रीन, ऑरेंज एवं रेड जोन में विभाजित किया गया है और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही इन्हें खोला जाएगा।
देश में अभी तक 10 लाख से भी अधिक टेस्टिंग (परीक्षण) का आंकड़ा पार हो चुका हैं और वर्तमान में एक दिन में 74,000 से अधिक टेस्टिंग हो रही हैं। भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है और पूरे देश में विशेष कोविड अस्पतालों और विशेष कोविड स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद 2.5 लाख से भी अधिक बेड की बदौलत किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम हैं।
कोरोना वायरस से मरने वालों का वैश्विक औसत जहां सात प्रतिशत है वहीं यह भारत में मात्र 3़ 2 प्रतिशत के आसपास ही है।
कोविड-19 से उबरने में केन्द्र सरकार पांच चरणों की रणनीति पर काम कर रही हैं जिनमें वर्तमान स्थिति को लेकर जागरूकता को कायम रखना, सतर्कता पूर्ण और सक्रिय रणनीति, निरंतर बदलते परिदृश्य में क्रमिक प्रतिक्रिया, सभी स्तरों पर अंतर-क्षेत्रीय समन्वय, और अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण इस बीमारी से लड़ाई में एक जनांदोलन तैयार करना शामिल है।
इसके अलावा देश में आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट बनाने की प्रक्रिया का काम एडवांस स्टेज पर है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से अनुमति मिलने के बाद इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा और 31 मई तक देश में रोजाना एक लाख टेस्ट हो पाएंगे।
देश में अभी तक केन्द्र और राज्य सरकारों ने कोराेना वायरस के संक्रमण से निपटने में जो सक्रिय कदम उठाए हैं, वे बहुत ही कारगर और प्रभावी साबित हो रहे हैं और इस बात की पुष्टि इन आंकड़ों से हो जाती है कि कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व के 20 विकसित देशों में अधिकतर देखने को मिला है। इन 20 देशों की जनसंख्या हमारी जनसंख्या के बराबर है लेकिन कोरोना से निपटने से हम उनसे कहीं बेहतर हैं।
डब्ल्यूएचओ के हाल ही के आंकड़ों को भी देखा जाए तो साफ पता चलता है कि उनके यहां पाये जाने वाले मामले हमारे देश से 84 गुना अधिक हैं और उनके यहां होने वाली मौतों की संख्या हमारे देश में हुई मौतों से 200 गुना अधिक है। यह सब केन्द्र सरकार की ‘प्रिएम्पटिव, ग्रेडेड, प्रोएक्टिव’ रणनीति के तहत संभव हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का एक निकाय नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) इस समय देश में नौ लाख से अधिक लोगों की कोरोना संबंधी निगरानी में लगा हुआ हुआ है और इसकी बेहतर सर्विलांस प्रणाली के तहत देश के सभी 734 जिलों से आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
कोराेना मरीजों का पता लगाने के लिए यह सर्विलांस सिस्टम एक कारगर हथियार साबित हुआ है
जो लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं उनके संपर्क सूत्रों का पता लगाकर उनकी पूरी निगरानी रखी जा रही है। इसकी मदद से 23 जनवरी को देश में सबसे पहले 13 लोगों के बारे मेें जानकारी जुटाई गई थी और यह आंकड़ा बढ़कर अब नौ लाख् से अधिक गया है।
इस सर्विलांस सिस्टम की मदद से देश के हर हिस्से से कोरोना संक्रमण संबंधी जानकारी जुटाई गई है और राष्ट्रीय स्तर पर इसका डाटाबेस तैयार किया गया है। इसी की मदद से हाॅटस्पाट क्षेत्रों में घर घर जाकर लोगों की बीमारियों संबंधी जानकारियां जुटाई जा रही हैं और यह कोेरोना के सामुदायिक संक्रमण को रोकने की दिशा में कारगर साबित हुआ है तथा लाकडाउन और सामाजिक दूरी ने भी इसे मजबूत बनाया है।