लखनऊ , उत्तर प्रदेश में प्लाज्मा थैरेपी के जरिये कोरोना के उपचार के प्रयास को उस समय धक्का लगा जब लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (केजीएमयू) अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित चिकित्सक की शनिवार को मृत्यु हो गयी।
जालौन में उरई के 58 वर्षीय चिकित्सक और उनकी पत्नी को कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद पिछले महीने यहां भर्ती कराया गया था। डाक्टरों का दावा है कि दंपत्ति की कोरोना जांच में दोनो के नमूने निगेटिव आये थे लेकिन मूत्राशय में संक्रमण के कारण चिकित्सक की मृत्यु हो गयी। केजीएमयू के प्रवक्ता डा सुधीर सिंह ने इस बात की पुष्टि की है।
पीड़ित चिकित्सक राज्य का ऐसा पहला मरीज था जिसे स्वस्थ हो चुके एक अन्य मरीज का प्लाज्मा दिया गया था। डाक्टरों का कहना है कि थैरेपी के बाद चिकित्सक की हालत में सुधार हो रहा था और वेंटीलेटर का उपयोग भी काफी कम हो गया था लेकिन दुर्भाग्य से मरीज को यूरीनरी इंफेक्शन हो गया और उनकी डायलिसिस करनी पड़ी। आज भी उनका टेस्ट निगेटिव आया था लेकिन दोपहर बाद उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गयी और उन्हे नहीं बचाया जा सका।
प्रवक्ता ने बताया कि चिकित्सक की पत्नी की लगातार दो बार जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है और उन्हे शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। पीड़ित डाक्टर को केजीएमयू के पहले भर्ती होने वाले मरीज का प्लाज्मा दिया गया था। यह महिला मरीज कनाडा की डाक्टर है जो यहां से स्वस्थ होकर जा चुकी है। इस बीच कोरोना संक्रमण से उबरने वाले तीन मरीजों ने अपना प्लाज्मा दान किया है जिनसे अन्य मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी को प्रोत्साहन देने की बात कही थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने हाल ही में प्लाज्मा थैरेपी के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी।