नयी दिल्ली , राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विभिन्न जगहों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्यों में ले जा रही ट्रेनों में सुविधाओं की कमी और उनके अत्यधिक देरी से पहुंचने तथा यात्रा के दौरान कुछ यात्रियों की मौत संबंधी मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लेते हुए गुजरात और बिहार के मुख्य सचिवों , रेलवे बोर्ड के चैयरमेन तथा केन्द्रीय गृह सचिव को नोटिस जारी किये हैं।
आयोग ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रेन अपने निर्धारित समय से अत्यधिक देरी से गंतव्यों पर पहुंच रही हैं। ट्रेनों में खाने और पीने की चीजों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है और कुछ श्रमिकों की ट्रेनों में ही मौत हो गयी है। रिपोर्टों के अनुसार मुजफ्फरपुर में दो, दानापुर, सासाराम, गया, बेगुसराय और जहानाबाद में एक एक यात्री की मौत हुई है इनमें एक चार साल का बच्चा भी शामिल है। इन सभी के भूख के कारण मरने की खबर है। एक अन्य घटना में गुजरात के सूरत से बिहार के सिवान के लिए 16 मई को रवाना हुई ट्रेन नौ दिन बाद 25 मई को गंतव्य पर पहुंची।
आयोग का कहना है कि यदि मीडिया में आयी रिपोर्ट सही है तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। पीड़ित परिवारों को अपूर्णीय क्षति हुई और सरकार ट्रेनों में सवार गरीब मजदूरों की जान बचाने में विफल रही है। आयोग ने गुजरात और बिहार के मुख्य सचिवों को जारी नोटिस में पूछा है कि ट्रेनों में आ रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए क्या इंतजाम किये गये हैं। इन सभी को चार सप्ताह में नोटिस का जवाब देने को कहा गया है।
आयोग ने कहा है कि देश का रेल नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस है इसलिए इसका खराब मौसम के कारण घंटों में लेट होना तो माना जा सकता है लेकिन ट्रेन एक सप्ताह देरी से पहुंचे यह मानना असंभव है।