लखनऊ, कानपुर शेल्टर होम मामले में कुछ अफसरों पर गाज गिरी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कानपुर स्थित राजकीय बालिका संरक्षण गृह मामले में काम के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में जिला प्रोबेशन अधिकारी और बाल गृह की अधीक्षक को निलंबित कर दिया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राजकीय बाल गृह में 57 संवासिनी कोरोना संक्रमित मिली थी जिस पर सरकार ने जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार और आश्रय स्थल की अधीक्षक मिथलेश पाल को प्रथम दृष्टया कार्य के प्रति लापरवाह रवैये का दोषी मानते हुये निलंबित कर दिया। निलंबित दोनों अधिकारियों को महिला कल्याण निदेशालय लखनऊ से संबद्ध किया गया है।
उन्होने बताया कि जिला प्रोबेशन अधिकारी को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में असफल रहने और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत सूचना का सही समय पर खंडन नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया है वहीं अधीक्षक पर आरोप है कि उन्होने अस्पताल में भर्ती गर्भवती संवासिनी की सुरक्षा के लिये चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ड्यूटी लगायी और वापस आने पर उसे क्वारंटीन करने के बजाय संस्था में काम में लगा दिया जो अन्य संवासिनियों में संक्रमण के प्रसार की वजह बना।
मीडिया और सोशल मीडिया पर संवासिनी के एचआईवी पीडित होने एवं अन्य भ्रामक तथ्याें का दुष्प्रचार किया गया लेकिन उच्चाधिकारियों को वास्तविक तथ्याें से अवगत कराते हुये दुष्प्रचार के खंडन का प्रयास नहीं किया गया।
निदेशक महिला कल्याण मनोज कुमार राय ने बताया की प्रारंभिक जांच में दोनों अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है, इसलिए दोनों अधिकारियों को निलंबित किया गया है। जल्द ही इन्हेंं आरोप पत्र देकर जवाब मांगा जाएगा जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कानपुर के स्वरूपनगर क्षेत्र में स्थित इस शेल्टर होम में 57 संवासिनियां कोरोना संक्रमित मिली थी जिसमें पांच गर्भवती थीं। जिला प्रशासन के अनुसार गर्भवती संवासिनियों को आगरा, एटा, कन्नौज, फीरोजाबाद व कानपुर के बाल कल्याण समिति से संदर्भित कर रखा गया है। सभी यहां आने से पूर्व गर्भवती थीं।
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने आरटीआइ एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर द्वारा कानपुर संवासिनी केस में की गयी शिकायत का संज्ञान लेते हुए कानपुर के जिलाधिकारी को नोटिस दिया है। आयोग की सदस्य कमलेश गौतम द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि शिकायत में महिलाओं के अधिकार व गरिमामय जीवन के अधिकार के हनन की शिकायत है। आयोग ने डीएम कानपुर को इस मामले में विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए आयोग को 30 दिनों में अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।