सहारनपुर, समूचा विश्व आज कोरोना से बचाव व उसके इलाज के साधन को तलाश रहा है जबकि वास्तव में कोरोना का इलाज कहीं और नही बल्कि मानव शरीर के भीतर ही है ।
सारे विश्व को भारत ने प्राणायाम व योग के माध्यम से श्वास – प्रश्वास लेना व छोड़ना सिखाया है। क्योंकि श्वास का आना जाना शरीर में जीवन तत्व दर्शाता है। यह एक ऐसी प्राण उर्जा है जो शरीर के समस्त अंगो पर काम करती है । हृदय , मस्तिष्क व शरीर के अन्य आर्गेन इस प्राण उर्जा पर क्रियाशील रहते हैं ।
योग गुरू गुलशन कुमार ने आज कहा कि भस्त्रिका , कपाल भाँति , यौगिक कुम्भक, अनुलोम विलोम ,प्राणायाम करने से हमारे फैफडो के निचले हिस्से लोअर लोब्स व पश्च लोब्स मे आक्सीजन तेजी से पहुंचने से कम्पलीट लंग्स मे सक्रियता आती है ऐसे में कोरोना ठहर नही सकता लेकिन जब किसी के फेफड़ों के लोअर लोब्स व पोस्टिरियर लोब्स मे आक्सीजन नही जाती तो ये ही हमारे फेफड़ों का हिस्सा कोरोना का घर है।
इसलिए प्राणायाम करने के साथ साथ व्यक्ति को सीधे लेटने के बजाए पेट के बल लेटकर सोने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि पेट के बल लेटकर सोने से फेफड़ों के निचले लोब्स व लेटरल हिस्सों पर दबाव पडने से सक्रिय होगे जिससे उनमे ज्यादा आक्सीजन पहुंच सकेगी तो शायद किसी वैन्टीलेटर की जरूरत शरीर को नही हो सकेगी। एक सामान्य व्यक्ति जब श्वास भीतर लेता है तो 500 c c वायु फेफड़ों में जाती है लेकिन प्राणायाम में जब श्वास लेते है तो 4500 c c श्वास भीतर जाती है । इतनी गहरी जो श्वास लेता है उसे किसी तरह के आक्सीजन व वैन्टीलेटर की जरूरत भला कैसे हो सकती है।
कोरोना के कारण मृत्यु केवल उन्ही की हो रही है जिन्हे पहले से ही मधुमेह, ह्रदय रोग, अस्थमा व उच्च रक्तचाप की बीमारी है। इन बीमारियों के कारण इम्यूनिटी कम हो जाती हैं जिसके कारण मृत्यु हो रही है । इसके विपरीत जिन लोगों की इम्यूनिटी पहले से ही बेहतर है वे सभी लोग अन्य बीमारियों के बावजूद कोरोना को हरा कर स्वस्थ हो चुके है।
योग स्वयं के भीतर की यात्रा है । हमारे ऋषि, मनीषी , योगी, सिद्ध, महात्मा व तपस्वी सदैव ध्यान व चिन्तन करते हुए संकट की आयी घड़ी में समूचे विश्व को ज्ञान का संदेश देते आये है जिसके कारण भारत विश्व गुरू के नाम से विख्यात है। आज भी सारा विश्व कोरोना की इस माहमारी का उपचार के लिए भारत की और एक आस लगाये हुए है कि भारत का योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा व अन्य पद्धतियों से कोरोना का इलाज तलाश कर सारे विश्व को देगा। इन्हीं कारणों से भारत में कोरोना की रिकवरी दर 63 प्रतिशत के आसपास है जबकि मृत्यु दर भी 3 प्रतिशत के आसपास है।
उन्होंने बताया कि कोरोना का सक्रमण फेफड़ों के निचले भाग में होता है जहां प्राण उर्जा एक सामान्य व्यक्ति की जाती ही नही इसके विपरीत योगी व योग करने से प्राण या आक्सीजन लंग्स के निचले स्तर पर पहुँच जाती है और व्यक्ति कम्पलीट लंग्स की एयर कैपासिटी बढा लेता है।
हमारी स्वयं की इम्यूनिटी ही इस मानव शरीर के अन्दर जो विकसित होती है वही कोरोना रोग से बचाव करती है।