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कुशीनगर में गंडक नदी ने मचाया कोहराम, कई गांवों में भरा पानी ?

कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में 436500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने ने तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के पिपराघाट और अहिरौलीदान गांव के आसपास तीन से चार फुट पानी भर गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को यहां बताया कि बुधवार को वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में पानी छोड़ा गया था जिससें पिपराघाट और अहिरौलीदान गांवों के संपर्क मार्गों पर तीन से चार फुट तक पानी भर गया है। कुछ लोग सामान छोड़कर बांध पर पहुंच गए हैं। कुछ लोग अब भी अपने घरों में ही जमे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि गंडक नदी में आई बाढ़ से बांसी नदी भी उफान पर है। इसके चलते अहिरौलीदान के डीह टोला में दूसरी बार पानी भर गया है। पिपराघाट के इमिलिया टोला, देवनारायन टोला, उपाध्याय टोला, शिव टोला, मोतीराय टोला, मुसहरी टोला आदि गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। सड़कों पर तीन से चार फुट पानी बह रहा है। गोलाघाट, नरवा टोला, दहारी टोला, तवकल टोला, बुटन टोला, रणजीत टोला, जोगनी, रानीगंज, जयपुर, राजपुर खाश, बेनिया पिपरा, ब्रह्मपुर सहित अन्य कई गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं।

बाढ़ प्रभावित विक्रमा, चंचली, राजकुमार, संतलाल, धुरन्धर, लालबाबू, रामदेव, सुकट, रामइकबाल, अमरजीत गुप्ता, राजेन्द्र चौहान, नगीना गोड़ समेत तमाम लोगों के घर में पानी भर गया है।
इस बीच उप जिलाधिकारी ए आर फारुखी, तहसीलदार रामप्यारे, नायब तहसीलदार विकास कुमार सिंह, प्रभारी राजस्व निरीक्षक जयन्त गुप्ता आदि पिपराघाट पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

गंडक नदी के रौद्र रूप से नदी के किनारे बसे ग्रामीण सहमे हुए हैं। पिपराघाट, जंगलीपट्टी, बिनटोली, घघवा जगदीश, जवही दयाल, चैनपट्टी, विरवट कोन्हवलिया, बाकखास, बाघाचौर, नोनियापट्टी और अहिरौलीदान के लोगों को का कहना है कि नदी कई वर्ष बाद तेज वेग से बह रही है। एपी तटबंध पर कई जगह पानी का दबाव है।यदि कहीं बांध टूटा तो कम से कम 40 गांवों के वजूद खतरे में पड़ जाएगा।

बाढ़ खंड के एसडीओ श्रवण कुमार प्रियदर्शी का कहना है कि एपी बांध पूरी तरह सुरक्षित है। सभी जगहों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। उधर क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में घिरे लोग अब भूख-प्यास से बेहाल हो गए हैं। इंसानों के साथ जानवर भी चारा के लिए व्याकुल हैं। कोई मदद नहीं मिली तो किसी तरह से महदेवा व सालिकपुर के लोग सामान समेत हाईवे तक पहुंचकर डेरा जमा रहे हैं।

अन्य गांवों के लोग अभी भी छप्पर व मचान पर बैठकर वक्त गुजार रहे हैं। हालांकि गुरवार को जलस्तर में कमी आने के बाद लोगों को जल्दी राहत मिलने की उम्मीद जगी है। तहसील प्रशासन के प्रयास से दोपहर बाद एनडीआरएफ की टीम राहत सामग्री लेकर गई।

गंडक नदी का जलस्तर गत 21 जुलाई को ही साढ़े तीन लाख क्यूसेक पहुंच गया था जिसके चलते गंडक पार बसे खड्डा क्षेत्र के गांव मरचहवा, बसंतपुर, शिवपुर, हरिहरपुर, नरायनपुर, बकुलादह, बालगोविन्द छपरा, शाहपुर, विंध्याचलपुर, सालिकपुर, महदेवा आदि गांवों के लोग प्रभावित हो गए थे। सोमवार रात में डिस्चार्ज चार लाख से ऊपर चला गया था। इसके चलते बाढ़ प्रभावित गांवों में बहुत अधिक पानी भर गया था।

ग्रामीण जवाहिर, नथुनी, लालू, बेचन, राकेश आर्या आदि ने बताया कि जान जोखिम में डालकर कुछ लोग सोहगीबरवा चले गए हैं। पानी के चलते भोजन नहीं बना है। पूरा इलाका पानी से घिरा होने के चलते पशुओं को चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। लोग मचान व ट्राली पर तख्ता रखकर शरण लिए हैं। ऊपर से बारिश व नीचे बाढ़ के पानी से दिक्कत है। घर में रखा अनाज भीग गया है।

सड़क कट गई है जिसके कारण छोटी नाव के सहारे ही आवागमन हो रहा है। बुधवार को एनडीआरएफ की टीम ने मरचहवा, बसंतपुर, शिवपुर आदि गांव में पहुचकर हालात का निरीक्षण किया। सालिकपुर व महदेवा गांव के लोग पशुओं समेत हाइवे के किनारे पहुंचकर शरण लिए हुए हैं।

बाढ़ पीड़ितों की दिक्कत को देखते हुए तहसील प्रशासन ने सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से भूजा, चिउड़ा, चने व पूड़ी का पैकेट बनाकर प्रभावितों के लिए भेजा है। एसडीएम कोमल यादव, तहसीलदार एसके श्रीवास्तव, नायब तहसीलदार रवि यादव आदि ने व्यक्तिगत सहयोग से खाद्य सामग्री की व्यवस्था की है। नायब तहसीलदार रवि यादव एनडीआरएफ की टीम के साथ बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचकर खाद्य सामग्री का वितरण करा रहे हैं। नारायणी सामाजिक कुंभ के संयोजक मनोज पांडेय व उनके सहयोगी मंगलवार आधी रात से ही सालिकपुर व महदेवा आदि गांवों में पूड़ी-सब्जी का पैकेट दे रहे हैं। मरचहवा के ग्राम प्रधान इजहार भी नाव से खाद्य सामग्री लेकर घर घर पहुंच रहे हैं।

एसडीएम कोमल यादव ने बताया कि यथासंभव खाद्य सामग्री का वितरण कराया गया है। इसमें कुछ समाजसेवी भी आगे आए हैं। एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई है। खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ऊपर पहुंचा गंडक नदी का जलस्तर अब खतरे के निशान से नीचे आ गया है। 24 घंटे में ही करीब एक लाख 72 हजार क्यूसेक पानी कम हुआ है। इससे बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत सामग्री भेजने में सहूलियत होगी। वाल्मीकि नगर बैराज से सोमवार को 436500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके चलते नदी भैंसहा गेज पर खतरे के निशान 96 मीटर से 24 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई थी। मंगलवार की रात में डिस्चार्ज में कमी आना शुरू हो गया था। बुधवार को शाम पांच बजे डिस्चार्ज घटकर 264000 हजार क्यूसेक हो गया। इसके चलते भैसहा गेज स्थल पर जलस्तर खतरे के निशवन से पांच सेंटीमीटर नीचे आ गया था।