लखनऊ, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के ईमानदार एवं तेजतर्राक अधिकारी दिनेश कुमार प्रभु की बहुत जल्द कानपुर से विदाई हो गई। अपने इस छोटे से कार्यकाल मे वह एक बहन से किये अपने दो वादों मे से एक बी पूरा नहीं कर पाये।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में दो बड़ी आपराधिक घटनायें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के ईमानदार एवं तेजतर्राक अधिकारी दिनेश कुमार प्रभु की जल्द विदाई की वजह बन गयी।
वर्ष 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी ने 17 जून को कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की कुर्सी संभाली थी जबकि मात्र 38 दिन बाद उनका ट्रांसफर झांसी कर दिया गया।
दरअसल, कानपुर के चौबेपुर में बिकरू कांड ने नये एसएसपी के लिये खासी चुनौती पेश की। इस दुस्साहिक वारदात में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गुर्गो ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी जबकि सात को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
इस घटना ने योगी सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया था। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर आकर शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धाजंलि अर्पित की और वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये। घटना के मात्र आठ दिनो के भीतर हालांकि एसटीएफ ने विकास दुबे और उसके पांच गुर्गो को ढेर कर दिया। घटना वाले दिन ही विकास का रिश्तेदार प्रेम प्रकाश और एक और बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इस मुठभेड़ में श्री प्रभु के सीने में बदमाशों की एक गोली लगी थी लेकिन बुलेट प्रूफ जैकेट पहने रहने की वजह से वह बाल बाल बच गये थे।
इस घटना के बाद बर्रा क्षेत्र में 22 जून को अपहृत पैथौलाजी तकनीशियन संजीत यादव की हत्या का पता पुलिस को पिछले शुक्रवार को लगा। संजीत की बहन ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाये थे जिसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिण अपर्णा गुप्ता, गोविंदनगर क्षेत्राधिकारी,बर्रा थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज समेत 11 पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया।
इससे पहले श्री प्रभु ने अपहृत की बहन से तीन दिनों में उसके भाई की सकुशल वापसी और फिरौती की रकम बरामद करने का वादा किया था हालांकि वह अपने दोनो ही वादों पर खरा नहीं उतर सके। संजीत के हत्यारों को तो पुलिस ने दबोच लिया लेकिन उसके शव और फिरौती की रकम का अब तक कोई पता नहीं चल सका है।
झांसी के लिये अपना बिस्तर बांध रहे श्री प्रभु के लिये हालांकि कानपुर कोई नई जगह नहीं थी। वह सात साल पहले 2013 में कानपुर में दो महीने के लिए एसपी पश्चिम रह चुके थे लेकिन इस बार वह कानपुर के मिजाज को समझने में नाकाम रहे और 11 साल के सेवाकाल में उन्हे 21वीं पोस्टिंग के लिये जाना पड़ा है।
मूलरूप से तमिलनाडु के सेलम जिले के रहने वाले दिनेश कुमार प्रभु इससे पहले सहारनपुर में 18 महीने रहे थे । सहारनपुर में पोस्टिंग के कुछ दिन बाद ही उन्होंने बड़ी डकैती का खुलासा किया था। ये दशक की सबसे बड़ी रिकवरी थी। तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने उन्हें और उनकी टीम को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया था।
श्री प्रभु पहली पोस्टिंग अलीगढ़ थी जबकि बतौर एसएसपी कानपुर उनका नवां जिला था। जौनपुर में तो वह सिर्फ छह दिन रहे थे।