कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में वाल्मीकि नगर बैराज से गंडक नदी में कभी कम तो कभी ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा है जिससे नरवाजोत बांध पर कटान को खतरा बढ़ गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नरवाजोत बांध को नदी के कटान से बचाने के लिए तीन सप्ताह से बाढ़ खंड बचाव कार्य में जुटा है। फिर भी नदी का दबाव और कटान का खतरा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि जब तक डिस्चार्ज सामान्य नहीं होगा, तब तक बांध पर कटान का खतरा बना रहेगा।
उन्होंने बताया कि गत 30 जुलाई को नरवाजोत बांध पर दहारी टोला के सामने गंडक नदी ने कटान शुरू किया था। तब किसी ने नहीं सोचा था कि नदी इस तरह तबाही मचाएगी। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लगभग पांच सौ मीटर के दायरे में कटान फैल चुकी है। कहीं न कहीं बचाव कार्य का हिस्सा रोज धंस रहा है। इस समय भी दुर्गा मंदिर और भंगी टोला के सामने गंडक नदी का दबाव बना हुआ है। हालांकि संभावित खतरे को देखते हुए बाढ़ खंड के एसडीओ समेत कई अभियंता पिछले तीन सप्ताह से बांध को बचाने में जुटे हुए हैं। नदी का दबाव कम करने की कोशिश जारी है।
सूत्राें ने बताया कि वर्ष 2015 में भी इसी तरह का दबाव बना था और अंतत: यह बांध कट गया था। इससे लोगों को महीनों तक बाढ़ और आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ी थी। उस तबाही के प्रत्यक्षदर्शी रहे ग्राम प्रधान विद्यासागर सिंह, राजेंद्र सिंह, सकलदेव सिंह, सुरेंद्र सिंह, पुजारी सिंह, दूधनाथ शर्मा, ध्रुव निषाद आदि ने बताया कि इस बार भी उसी तरह की स्थिति बनी हुई है। गनीमत है कि इस बार बाढ़ खंड विभाग के अभियंता सजग हैं। इसके कारण अभी तक बांध को कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है। फिर भी लगातार बांध पर खतरा बने रहने से लोग बांध व गांवों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। शुक्रवार को कहीं बोल्डर तो कहीं मिट्टी से भरी बोरियों से बचाव कार्य जारी रहा।
एसडीओ आमोद कुमार सिंह ने कहा कि नरवाजोत बांध पर कटान की स्थिति नियंत्रण में है। बचाव कार्य जारी रखते हुए सभी संवेदनशील जगहों पर नजर रखी जा रही है।