नयी दिल्ली, सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा तैयार की गयी कार्य योजनाओं का विवरण उच्चतम न्यायालय को सौंपा गया है।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने शीर्ष अदालत के पिछले माह के आदेश के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न उच्च न्यायालयों की कार्ययोजना का विस्तृत ब्योरा दिया है। श्री हंसारिया ने हालांकि कहा है कि त्रिपुरा और मेघालय उच्च न्यायालयों ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाये हैं।
न्याय मित्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ उच्च न्यायालयों ने प्रत्येक जिले में सुबह शाम के सत्र में अदालत चलाने का सुझाव दिया है तो कुछ ने मजिस्ट्रेट स्तर पर विशेष अदालतों के गठन की वकालत की है।
अधिकांश उच्च न्यायालयों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियम बनाए गए हैं और शेष इन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। न्याय मित्र ने कुछ उच्च न्यायालयों के रवैये पर असंतोष भी जताया है।