नई दिल्ली, बिहार विधानसभा चुनाव में अभी प्रचार का दौर ही चल रहा है, लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार जो रिपोर्ट सामने आ रही है वह बीजेपी और उसकी सहयोगी जेडीयू के लिये अच्छी नही है। जिससे बीजेपी की चिंता बढ़ गई है। बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जेडीयू के साथ मिलकर व्यापक रणनीति तैयार की । लेकिन वह तेजस्वी यादव के चक्रव्यूह में फंस गई लगती है। बढ़ती बेरोजगारी, कृषि अध्यादेश को लेकर किसानों का गुस्सा , लाकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के साथ सरकार का व्यवहार, महंगाई, सरकारी भ्रष्टाचार आदि मुद्दे सरकार के खिलाफ जा रहें हैं, जिसका सीधा लाभ तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद को मिल रहा है। तेजस्वी यादव की रैलियों में उमड़ते जन सैलाब ने बीजेपी की धड़कनें बढ़ा दी हैं। वहीं चिराग पासवान ने बीजेपी के समीकरणों को प्रभावित किया है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसमें लोजपा से भाजपा को भी नुकसान हो सकता है। कई जगह भाजपा के असंतुष्ट लोजपा को समर्थन कर रहे हैं। इससे गठबंधन की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। खुद लोजपा बहुत ज्यादा सफलता हासिल कर पाए ऐसा भी नहीं दिख रहा है। बीजेपी के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये नतीजे अगले साल होने वाले असम व पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को भी प्रभावित करेंगे। बीजेपी के लिये पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रतिष्ठा की बात है। उसने बीते साल लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं असम में बीजेपी की अपनी सरकार है।
बीजेपी अगर बिहार में भाजपा सत्ता से बाहर होती है तो अन्य राज्यों मे होने वाले चुनाव में उसकी रणनीति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। खासकर असम और पश्चिम बंगाल जहां पर अगले साल चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों में बिहार की राजनीति का भी काफी असर पड़ता है। ऐसे में विपक्ष को नई ताकत मिल जाएंगी।