कहते हैं रिलेशनशिप तभी लंबे समय तक चल पाती है जब उसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना हो। वैसे भी कई बार देखा गया है कि कई पुरुष अपनी पत्नीब को अपने सामने कुछ समझते ही नहीं है और बच्चों व दूसरों के सामने उन्हें बेइज्जत करने से बाज नहीं आते। पत्नी भले ही उनसे अधिक योग्य हो या ज्यादा कमाती हो, ज्यादा अच्छी हो या खूबसूरत हो लेकिन पुरुष का दंभ उसे यथोचित सम्मान देने से रोकता है। मित्रों, रिश्तेदारों या घर के कामवालों के सामने भी वे पत्नीे की इंसल्ट कर बैठते हैं। आखिर क्यों करते हैं पुरूष ऐसा हमारे देश में लड़कियों को बचपन से यह बात सिखाई जाती है कि समाज में लड़के के जन्म को सेलिब्रेट किया जाता है। मुण्डन, थाली या परात बजाना लड़के के जन्म पर होता है। प्रारंभ से ही लड़कों को ज्यादा अहमियत दी जाती है और इसलिए उसके मन में महत्वपूर्ण होने की अवधारणा विकसित हो जाती है। वे स्वयं को सबसे अधिक सर्वश्रेष्ठ समझने लगते हैं।
सामान्यतः लड़कियों या महिलाओं का एक्सपोजर पुरुषों जितना नहीं होता, इसलिए उनकी जानकारी व नॉलेज घर के बाहर के क्षेत्रों में कम होती है। पुरुष इसी बात से स्वयं को अधिक निपुण समझने लगते हैं। कई बार पुरुषों की हीन भावना भी उन्हें आक्रामक होने को विवश करती है। स्वयं से योग्य या सुंदर पत्नीी होने पर वो उसकी खीज पत्नी् को गाहे-बगाहे बेइज्जत करके निकालते हैं। स्त्री को कमतर समझने पर या उसके ऊपर रौब गांठने की मनःस्थिति भी पुरुष को पत्नीो के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए उकसाती है। क्या हो सकता है? कई बार चिढ़कर या जानबूझकर कोई भी पति अपनी पत्नीो को चोट पहुंचाने या मन दुखाने के लिए बेइज्जती करता है तो कई बार आदतवश भी ऐसा कर बैठता है। बुरी तरह से ट्रीट होना हममें से किसी को भी पसंद नहीं आता फिर घर की लक्ष्मी का तिरस्कार, कई मामलों में उसकी रूचि खत्म कर सकता है। कभी-कभी स्थितियां जब बस के बाहर हो जाती हैं तो पत्नीो भी मौके और बहाने ढूंढ सकती हैं पति के अपमान के। ऐसे में दोनों के रूचिपूर्ण संबंध खत्म हो सकते हैं। यदि दोनों वर्किंग है तो ईगो क्लेश होकर ब्रेकअप जैसी स्थिति आ जाती है।
क्यों दें सम्मान? दूसरे को सम्मान देना तो हमारी तहजीब व संस्कृति है इसमें भला शर्म कैसी? पत्नीी तो अर्ध्दांगिनी है। आपके बराबर की सुख-दुख की साझीदार। उससे अभद्र तरीके से बोलने का अधिकार आपको कदापि नहीं है। पत्नीद यदि होम मेकर भी है तो भी उसकी अपनी अहमियत है। उसे सम्मान देना आपका फर्ज है। दूसरों को सम्मान देने से स्वयं, आपके संस्कार पता चलते हैं। अक्सर फलों से लदी डाली ही झुकी होती है, इसलिए हमेशा नमना सीखें। वाद-विवाद से नेगेटिव एनर्जी जेनरेट होती है, संबंध बिगड़ते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों के लिए अच्छा उदाहरण कभी नहीं बन पाएंगे। स्वयं की श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए कभी भी अपशब्दों का सहारा लेने से काम नहीं बनेगा।
बदलना होंगी कुछ आदतें… यदि आप भी आज तक पत्नीक को कमतर समझते आ रहे हैं तो प्रण कीजिए कि अपनी आदत बदलेंगे। शुरुआत उसके हर काम को एक्नॉलेज करने से करें। शुक्रिया-धन्यवाद कहने से पत्नीत का मनोबल बढ़ेगा। यदा कदा तारीफ करें तो बड़प्पन आपका ही झलकेगा। पत्नीि से ऊंची आवाज में बात करना या छोटी-छोटी गलतियों के लिए उसे डांटना बंद कर दीजिए। बच्चों से भी मम्मी से ऊंची आवाज में बात करने को मना करें। पत्नीं की राय किन्हीं मुद्दों पर आपसे अलग है तो धैर्यपूर्वक उसकी बात सुने, हो सकता है वह सही हो। शुरुआत में हिचक हो सकती है पर घबराए नहीं, ऐसा करने से आप सुदृढ़ दाम्पत्य की ओर ही कदम बढ़ाएंगे। पति-पत्नीे के रिश्ते की धुरी प्रेम, विश्वास व सम्मान ही है। इनमें से एक भी यदि कम हुआ तो रिश्ता बिगड़ते देर नहीं लगती।