प्रयागराज, पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलीला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम तट पर साधना, समर्पण, सनातन संस्कृति और संस्कार का संवाहक माघ मेला में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को बिना कोरोना जांच रिपोर्ट के पहुंचने पर शिविर में स्थान नहीं नहीं दिया जायेगा।
प्रयागवाल महासभा के महामंत्री राजेन्द्र पालीवाल ने सोमवार को बताया कि तीर्थ पुरोहित ही कल्पवासियों को शिविरों में बसाते रहे हैं। कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि 14 जनवरी से शुरू हो रहे माघ मेला में कल्पवास करने आने वाले कल्पवासियों को अपने साथ कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लाने पर ही शिविरों में स्थान दिया जायेगा।
उन्होने बताया कि सुरक्षित ढंग से माघ मेला कराने के लिए हर स्तर पर सजगता बरती जाएगी। शासन के गाइडलाइन के अनुसार ही कल्पवासियों को शिविर में सुविधा प्रदान की जाएगी। कल्पवास की परंपरा को बचाने के लिए किसी भी प्रकार की चूक नहीं होने का महासभा ने निर्णय लिया है।
महामंत्री ने बताया कि माघ मेले में महीने भर संगम तट पर जप, तप और ध्यान करने वाले कल्पवासियों को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए कल्पवास करने वाले हर श्रद्धालु की कोरोना जांच अनिवार्य कर दी गयी है। बिना जांच रिपोर्ट के किसी भी कल्पवासी को तीर्थपुरोहितों के शिविर में सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी। तीर्थ पुरोहित माघ मेला में कल्पवास के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के रहने, पूजन कराने आदि की जिम्मेदारी निभाते हैं। ज्यादातर यजमान तीर्थ पुरोहितों के मेला क्षेत्र स्थित शिविरों में ही पूरे माह रहकर कल्पवास करते हैं।