चित्रकूट, उत्तर प्रदेश के पौराणिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में लगने वाले सोमवती अमावस्या मेला को प्रतिबंधित करने के संबंध में एक आवश्यक बैठक अधिकारियों एवं साधु संतों के साथ हुई जिसमें कोरोना को देखते हुये इसे प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया ।
सोमवती अमावस्या में चित्रकूट में 10 से 15 लाख श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। जो मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाकर कामदगिरि की 5 किलोमीटर की परिक्रमा लगाते हैं।
जिलाधिकारी ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए अपने-अपने घरों से ही भगवान श्री कामदनाथ जी के दर्शन पूजा अर्चन करें1 अमावस्या मेला में आने की चेष्टा न करें उन्होंने साधु-संतों से भी कहा है कि श्रद्धालुओं से आप लोग अपील करें कि कोई भी श्रद्धालु अमावस्या मेला में न आए तथा मठ मंदिरों को भी बंद रखा जाए ।
सभी मठ मंदिरों के साधु-संतों से संपर्क करके मंदिरों को बंद रखा जाए तथा रामघाट की आरती को भी बंद करा दिया जाए। प्रतिमाह अमावस्या मेला के अवसर पर कामदगिरि परिक्रमा में तथा रामघाट एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र होती है । परिक्रमा मार्ग का लगभग आधा हिस्सा मध्य प्रदेश की सीमा में आता है एवं मध्य प्रदेश की सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे रामघाट, सीतापुर, नयागांव तथा जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवरामपुर एवं मानिकपुर के क्षेत्र में जो कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं ।