इटावा, उत्तर प्रदेश में इटावा के जसवंतनगर में उत्तर भारत के सबसे बड़े बकरी बाजार पर दुनिया भर मे फैली कोरोना महामारी का बुरा असर पडा है । संक्रमण की मार से बकरों की खरीदारी में करीब 75 फीसदी बिक्री की कमी आई है ।
बकरी बाजार के मुख्य संचालक राजीव बबलू गुप्ता ने आज कहा कि कोरोना महामारी के चलते बकरी बाजार करीब 75 फीसदी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है इस समय केवल 25 फीसदी ही बिक्री हो पा रही है । असल मे कोरोना के कारण बडे बडे महानगरो से व्यापारी यहॉ तक पहुंच ही नही पा रहे है नतीजे के तौर पर बकरो की बिक्री पर बुरी तरह से असर पडा है ।
उन्होने बताया कि बकरीद के मददेनजर इटावा के आसपास के ही लोग बकरे खरीदने आ रहे है । पहले जहॉ सामान्यता कम से कम 15 हजार रूपये का बकरा बिका करता था वो आज मात्र 10 हजार का ही बिक रहा है । काेरोना के कारण एक तो लोगो के पास रूपये नही है दूसरे जब स्पर्धी नही होते है ऐसे मे बिक्री पर बुरा असर पडना लाजिमी है ।
जसवंतनगर का बकरी बाजार राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त बाजारों में शुमार है । साल भर हर बुधवार को लगने वाले इस बकरी बाजार में कोरोना के प्रभाव से पहले हजारों बकरियों, बकरों की खरीद फरोख्त होती थी। इस बाजार में मुंबई, कोलकाता, बिहार, असम, आसनसोल, राजस्थान, गुजरात, झारखंड से बकरों और बकरियों के खरीदार बड़े व्यापारी आते थे।
यहां ग्वालियर, भिड, मुरैना, औरैया, फीरोजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज ही नहीं कानपुर नगर तक के बकरी पालक अपनी बकरियों और बकरों की बिक्री करते थे । जमुनापारी बकरियों की नस्ल जसवंतनगर से जुड़े बीहड़ी इलाकों में खूब पाली जाती है। इस नस्ल के अलावा अन्य नस्ल के बकरा-बकरी का खूब पालन होता है।
भूमिहीन लोग बकरी पालन से अपने घर का खर्च चलाया जाता है। इस कारण बकरी पालन व्यवसाय इस क्षेत्र में खेती किसानी के बाद लोगों का बड़ा आजीविका साधन बन गया है। बकरी पालकों द्वारा वर्ष भर अपनी बकरियां बेची जाती हैं,मगर जन्मे हुए बकरों को वे सहेजकर साल भर पालते हैं ताकि बकरीद त्योहार पर ऊंची कीमतों पर बेच सकें। गत वर्षों में बकरी बाजार से बकरे खरीदने दिल्ली, मुरादाबाद, फीरोजाबाद, कानपुर, रामपुर तक से लोग आए ताकि अच्छी किस्म के और इस्लामिक लिहाज से पाक साफ बकरे उन्हें मिल सकें ।