अयोध्या, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला का भव्य मंदिर अलौकिक होगा, बल्कि तकनीकी के मामले में भी अव्वल होगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामलला का गर्भगृह मकराना के संगमरमर से सजेगा। 32 सीढिय़ों को चढक़र रामभक्त रामलला का दर्शन करेंगे। रामनवमी पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। मंदिर निर्माण में देश की आठ नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली जा रही है। वास्तुशास्त्र व स्थापत्य कला की भी अनुपम झलक मंदिर में दिखेगी।
मिली जानकारी के अनुसार नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद ने निर्माण स्थल पर जमीन का अध्ययन किया है। इसके बाद निर्धारित स्थल से 1.85 लाख घन मीटर मलबा हटाया गया, जो करीब 14 मीटर का गहरा गड्ढा बन गया जिसे भरने के लिए आर.सी.सी. प्रणाली का उपयोग किया गया था।
उन्होंने बताया कि गर्भगृह में छप्पन परत और शेष भूमि में 48 परतें डाली गयी हैं। अब यह एक मानव निर्मित चट्टान है जो नींव को एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभायेगी। जनवरी 22 में नींव की ऊपरी सतह में 1.5 मीटर की मोटी राफ्टी डाली गयी। इसी के ऊपर इस समय मंदिर की प्लिंथ का काम चल रहा है। जो आज गर्भगृह का निर्माण शुरू हो गया है।
सूत्रों ने बताया कि गर्भगृह 20 फीट लम्बा व बीस फीट चौड़ा होगा जिसका निर्माण वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से होगा। गर्भगृह के स्तम्भों में देवी देवताओं सहित रामायण आधारित चित्रों की नक्काशी की जायेगी। राम मंदिर की नींव में देश भर के भक्तों की आस्था को भी समाहित किया गया है।
उन्होंने बताया कि नींव में दो हजार पवित्र जगहों से लायी गयी मिट्टी और करीब 115 नदियों से लाया गया पानी डाला गया था। 1989 में दुनिया भर से दो लाख पचहत्तर हजार ईंटे जन्मभूमि भेजी गयी थीं। इनमें से नौ ईंटों व शिलाओं को भूमि पूजन में रखा गया, शेष ईंटों को राम मंदिर के चारों तरफ नींव में भरकर उन्हें सम्मान प्रदान किया गया। दिसम्बर 2023 तक गर्भगृह निर्माण का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जो समय से पूरा कर लिया जायेगा।