मथुरा, उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित दो वादों की सुनवाई में सोमवार को दोनों पक्षों ने बहस को जारी रखते हुए हिंदू पक्ष ने अदालत से शाही मस्जिद ईदगाह का सर्वे कराने की मांग की।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीख 21 जुलाई निर्धारित की है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में अधिवक्ता राजेन्द्र माहेश्वरी ने शाही मस्जिद ईदगाह के सर्वे के मुद्दों काे तय करने की मांग की। इससे मुकदमे में नाटकीय मोड़ आ गया है। महेश्वरी ने कहा कि अदालत पहले यह तय करे कि शाही मस्जिद ईदगाह का सर्वे आवश्यक है या नहीं।
अधिवक्ता राजेन्द्र माहेश्वरी का कहना था कि शाही मस्जिद ईदगाह में मौजूद हिन्दू मन्दिर के चिन्हों को नष्ट करने से बचाने के लिए मस्जिद का सर्वे पहले कराना जरूरी है। उनकी दलील थी कि इस जरूरत को समझते हुए रिवीजन कोर्ट ने प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश दिया है।
वहीं, बचाव पक्ष ने दोहराया कि पहले यह निश्चित हो जाना चाहिए कि सिविल प्रक्रिया संहिता नियम 7/11 सीपीसी के अन्तर्गत वाद पोषणीय है या नहीं। माहेश्वरी ने सुनवाई के बाद संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने इस पर अपने निर्णय को सुरक्षित रख लिया है।
उधर प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता नीरज शर्मा ने बताया कि यह कहा गया कि यह प्रतिनिधिक वाद (रिप्रेजेन्टेटिव सूट) है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से भक्त के रूप में वादियों ने वाद को दायर किया है। सीपीसी के अनुसार रिप्रेजेन्टेटिव सूट को दायर करने के पहले अदालत से अनुमति लेने का प्राविधान है। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में अदालत से वाद दायर करने के पहले अनुमति नही ली गई है, इसलिए भी वाद चलने योग्य नहीं है।
उधर श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित दूसरे मुकदमे में खुद को श्रीकृष्ण का वंशज होने का दावा करते हुए मनीष यादव की ओर से दायर किये गए वाद में प्रतिवादियों की ओर से आज वाद की पोषणीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया। इसमें कहा गया कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून 1991 के तहत यह वाद विचार करने योग्य नही है। साथ ही समय अवधि समाप्त हो जाने के कारण भी यह वाद विचारणीय नहीं है।
वहीं, वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता दीपक शर्मा ने इसकी कापी लेते हुए अगली तिथि पर इसका जवाब देने को कहा है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्र अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह आदि बनाम शाही मस्जिद ईदगाह व अन्य वाद में वादियों ने एक प्रार्थनापत्र शाही मस्जिद ईदगाह एवं जहानारा मस्जिद आगरा के आर्केलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया से सर्वे कराने के संबंध में मथुरा की अदालत में लगभग एक साल पहले पेश किया था। उसका संज्ञान न लेने के कारण उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विपिन चन्द्र दीक्षित की खण्ड पीठ ने आज आदेशित किया कि उक्त प्रार्थनपत्र का निस्तारण तीन माह के अन्दर कर दिया जाय।