लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अवैध नशे के कारोबार के खिलाफ मुहिम में इंटरनेट की दुनिया के सबसे खतरनाक ‘डार्क वेब’ पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं।
इस क्रम में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने प्रदेश में डार्क वेब के माध्यम से होने वाले अवैध ड्रग कारोबार के समूल नाश की रूपरेखा बना ली है और इसे अमलीजामा पहनाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। यूपी पुलिस की एएनटीएफ ऐसी पहली विंग होगी, जो डार्क वेब पर शिकंजा कसेगी।
अधिकृत सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेशभर में ड्रग माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और इसी के तहत एएनटीएफ का गठन किया गया है। तकनीकी का दुरुपयोग कर डार्क वेब, सोशल मीडिया और क्रिप्टो करेंसी के जरिए सिंथेटिक नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग की सप्लाई की जाती है। योगी ने हाल ही में प्रदेश में इसे रोकने के लिए एएनटीएफ को टास्क सौंपा है। इसके अलावा प्रदेश के बाराबंकी, फैजाबाद, शाहजहांपुर, बदायूं, बरेली, गाजीपुर, मऊ और रायबरेली में वैध अफीम की खेती होती है। इसके मद्देनजर अफीम की अवैध खरीद फरोख्त पर भी निगाह रखने के निर्देश एएनटीएफ को दिए गये हैं।
उन्होने बताया कि सिंथेटिक नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग के नेक्सस को तोड़ने के लिए एएनटीएफ में एक स्पेशल टीम का गठन किया जा रहा है, जिसमें आईटी स्पेशलिस्ट, साइबर एक्सपर्ट और साफ्टवेयर डवलपर होंगे। इसके अलावा एएनटीएफ के कार्मिकों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित करने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) से समन्वय स्थापित कर एएनटीएफ की स्पेशल टीम को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। ऐसे गिरोह के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ के एक्सपर्ट की भी मदद ली जाएगी।
सूत्रों के अनुसार नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग को केमिकल्स के जरिए बनाया जाता है, जिसकी वजह से यह प्राकृतिक ड्रग से कहीं ज्यादा खतरनाक है। साइकोट्रोपिक के तहत करीब 112 ड्रग्स आती हैं, इसमें इंजेक्शन भी शामिल हैं। इसे बड़े पैमाने पर युवाओं तक पहुंचाने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से लेनदेन भी किया जाता है।
इस बारे में एएनटीएफ जागरूकता अभियान भी चलाएगी। ड्रग डिमांड रिडक्शन के तहत ड्रग लेने वाले लोगों को इसे बंद करने के लिए जागरुक किया जाएगा। इसके तहत रैली, सोशल और डिजिटल मीडिया के माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जाएगा। ड्रग हॉर्म रिडक्शन के तहत नशा मुक्ति केंद्र में भी ऐसे लोगों को भर्ती किया जाएगा, ताकि वह नशे की लत को छोड़ दें। इसके लिए एनसीबी से भी समन्वय किया जाएगा।