चित्तौड़गढ़, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सेवानिवृत महिला चिकित्सक ने अपनी मृत्यु के बाद भी इस क्षेत्र में सेवा और समर्पण का भाव रखते हुए अपनी देहदान कर आज के चिकित्सकों के लिए बड़ी मिसाल बन गयी।
चित्तौड़गढ़ जिले के छोटे से ग्राम पहुना की निवासी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद से सेवानिवृत महिला चिकित्सक श्रीमती शांता नाहर का बुधवार को 82 वर्ष की आयु में गुजरात के सूरत शहर में निधन हो गया जिनकी अंतिम इच्छानुसार उनकी देह को सूरत मेडिकल कॉलेज को उनके परिजनो ने आज प्रातः विज्ञानं एवं चिकित्सा शोध के लिए दान कर दिया। एक सप्ताह पूर्व श्रीमती नाहर को गिरने से ब्रेन स्टॉक हो गया था जिस पर उन्हें उपचार के लिए सूरत ले जाया गया था जहाँ उनका निधन हो गया था।
स्वर्गीया नाहर के पति गौरीलाल नाहर ने बताया कि वे राजसमन्द जिले के रेलमगरा गांव की निवासी थी और शादी से पहले ही 1966 मेँ उदयपुर के राजकीय रविन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के प्रथम बैच की मेडिकल छात्रा रही। चिकित्सा सनद प्राप्त करने पर उन्हें पहली पोस्टिंग 1969 में अविभाजित चित्तौड़गढ़ जिले के प्रतापगढ़ अस्पताल में महिला चिकित्सक के रूप में हुई. वे बाद में अपने 30 वर्ष के कार्यकाल में चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा रही और 1999 में अजमेर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद से सेवानिवृत हो गई।
सेवानिवृति के बाद वे पहुना में ही निशुल्क लोगो की सेवा करती रही। श्रीमती नाहर के पति भी राज्य के सांख्यिकी अधिकारी पद से सेवानिवृत है जबकि उनके दो पुत्र गुजरात के सूरत में रहकर आयात निर्यात के व्यापार में कार्यरत है।