हिरोशिमा (जापान) , भारत ने यूक्रेन रूस संघर्ष को विश्व की मानवीय संकट का कारक बताते हुए आज कहा कि भारत सरकार एवं स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए वह सब कुछ करेंगे जो उनके बस में है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर ज़ेलेन्स्की से द्विपक्षीय मुलाकात में यह बात स्पष्टता से कही। उन्होंने रूस यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत एवं कूटनीतिक प्रयासों को भारत का समर्थन एवं यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देने की बात भी दोहरायी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री ज़ेलेन्स्की के साथ करीब आधा घंटे की इस मुलाकात के बाद ट्वीट किया, “हिरोशिमा में राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की से मुलाकात की। हमने आगे का रास्ता खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के लिए भारत के स्पष्ट समर्थन से अवगत कराया। हम यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देना जारी रखेंगे।”
बाद में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री को यूक्रेन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी और उन्हें यूक्रेन की यात्रा पर कीव आने का न्यौता भी दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन में संघर्ष का पूरी दुनिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। विश्व के अनेक देशों खासकर वैश्विक दक्षिण के विकासशील देशों के लिए अनेक आर्थिक चुनौतियां खड़ी हाे गयीं हैं जिनमें खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, उर्वरक संकट आदि शामिल हैं। वैश्विक दक्षिण के देश विकास के लिए एक साझीदारी की जरूरत महसूस कर रहे हैं जिसमें उन पर ऋण का बोझ ना पड़े।
हालांकि प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए रूस यूक्रेन संघर्ष कोई राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा नहीं है बल्कि मानवता का, मानवीय मूल्यों का मुद्दा है। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि भारत यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देना, खास तौर पर दवाइयों की आपूर्ति जारी रखेगा। प्रधानमंत्री ने आगे का रास्ता खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के लिए भारत के स्पष्ट समर्थन की बात दोहरायी और कहा कि मौजूदा स्थिति के समाधान के लिए, भारत सरकार और प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से वह सब कुछ करेंगे जो भी उनके बस में होगा।
प्रधानमंत्री ने भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी में यूक्रेन के सहयोग की सराहना की और यूक्रेन के संस्थानों द्वारा छात्रों के लिए भारत में परीक्षा आयोजित करने के निर्णय का स्वागत किया।
विदेश सचिव ने एक सवाल पर यह भी बताया कि इस बैठक के लिए यूक्रेन की ओर से अनुरोध किया गया था। बैठक में दोनों पक्षों ने परस्पर संपर्क में रहने पर सहमति जतायी।
प्रधानमंत्री मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच हुई इस द्विपक्षीय बैठक पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भी निगाहें लगीं थीं। भारतीय विदेश सचिव के संवाददाता सम्मेलन में बड़ी संख्या में जापानी एवं अन्य देशों के पत्रकार भी मौजूद थे और अधिकांश के सवाल रूस यूक्रेन संघर्ष में भारत की मध्यस्थता एवं भूमिका को लेकर पूछे गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। नेताओं ने क्षेत्रीय विकास और वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों नेताओं ने व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग, नागरिक उड्डयन, नवीकरणीय, संस्कृति, रक्षा क्षेत्र में सह-उत्पादन और विनिर्माण, साथ ही असैन्य परमाणु सहयोग के अलावा नए क्षेत्रों में भी साझीदारी का विस्तार करने पर सहमति जतायी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें 14 जुलाई को बैस्टिल दिवस के लिए सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति श्री मैक्रों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के लिए फ्रांस के समर्थन के लिए भी राष्ट्रपति श्री मैक्रों का आभार जताया।