नई दिल्ली, 11 वर्षों के भगीरथ प्रयास के उपरांत बाबा गणिनाथ धाम मंदिर का हुआ निर्माण संपन्न सीमांचल का या पहले और अनूठा मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण में फुटपाथ पर बताशा बेचने वाले से लेकर गरीब से गरीब लोगों ने सहयोग किया है। यह मंदिर सीमांचल के लिए एक अनूठा और प्रेरणादायक मंदिर है यहां बाबा गणिनाथ महाराज हवाई जाति का कुल गुरु बाबा गणिनाथ का पूजा अर्पण दिनांक 9 सितंबर 2023 को मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत मंदिर का श्री गणेश हुआ।
दीप प्रज्वलित कर इंजीनियर अमल कुमार ने मंदिर का उद्घाटन किया। मंदिर के लिए भूमि का दान विभूति प्रसाद सा पूर्णिया फोर्ड कंपनी द्वारा किया गया। मूर्ति दाता इंजीनियर अमल कुमार द्वारा किया गया जो राजस्थान के जयपुर से लाया गया मूर्ति आदमकद है जो संगमरमर से निर्मित है। प्राण प्रतिष्ठा और पूजा पद्धति में तीन दिनों का दिवस लगा जिसे सभी श्रद्धालुओं ने भक्ति पूर्वक संपन्न कराया यहां की महिलाएं पारंपरिक गीत नाथ से यहां के मंदिर के परिसर का माहौल भक्ति में बना दिया जो तीन दिनों तक चला पारंपरिक उखल स्मार्ट से जुड़ा पटना और पारंपरिक पकवान का निर्माण लकड़ी और कांदे के सहयोग से करना यहां की विशेषता है।
मिथिलांचल और हिमाचल की एक अपनी पहचान है यहां के सभी महिलाएं और पुरुष के सहयोग से इस जन्मोत्सव को जन-जन तक यादगार के रूप में व्यवस्थित किया जो सराहनी और सोचनी है आज भी सीमांचल में पौराणिक और पारंपरिक गीत और सभ्यता जीवित है इसका संजीव उदाहरण यहां देखने को मिला। इस अवसर पर अररिया जोगबनी पूर्णिया धमधा रुपौली भवानीपुर मीरगंज बनमनखी सहरसा सुपौल मधुबनी कटिहार किशनगंज एवं सुदूर देहात से हजारों की संख्या में श्रद्धालु लोग पहुंचे। भीषण वर्षा के उपरांत भी साबो ने अपनी धैर्य का परिचय दिया और सभी लोग पूजा पाठ करके ही अपने घर वापस हुए।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय लोगों और खासकर इंजीनियर अमन कुमार द्वारा विभूति कुमार द्वारा एवं अन्य भक्तों द्वारा अपना बौद्धिक संबोधन में नवजीवों में जागृति और उत्साह भारत और आगामी किसी भी क्षेत्र के परीक्षाओं में अव्वल आने का प्रयास करने वाले छात्र-छात्राओं को मंदिर परिषद की ओर से सम्मानित करने का वचन इंजीनियर अमर कुमार द्वारा दिया गया ।