लखनऊ, बुंदेलखंड गौरव महोत्सव जालौन में ऐतिहासिक नगरी कालपी के गौरवशाली इतिहास से रूबरू होने का जरिया साबित हुआ है।
कालपी में एक वकील जो रामलीला के मंच पर हमेशा रावण बना, आदर्शों पर चला और इस कदर प्रभावित हुआ कि रावण के नाम पर मीनार बनवा दी। ‘लंका’ नामक मीनार अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है और लोगों के आकर्षण का केंद्र है। हेरिटेज वॉक के जरिये पर्यटकों ने कालपी में बीरबल का किला, महर्षि वेद व्यास की जन्मस्थली और लंका मीनार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
झांसी में 23 जनवरी को शुरू हुए बुंदेलखंड गौरव महोत्सव का 18 फरवरी को बांदा में समापन होगा।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने गुरुवार को बताया कि महोत्सव की शुरुआत राजकीय इंटर कालेज मैदान में सुबह हॉट एयर बलून से हुई। सुबह पर्यटकों ने आकाश की उंचाइयों से अपने शहर और गांवों को कोहरे लिपटे देखा। इस पर बैठने को लेकर लोगों में विशेष रोमांच देखने को मिला। इसके बाद योग और ध्यान कराया गया। इंदिरा स्टेडियम में लगभग 200 लोगों ने योगाभ्यास कर स्वस्थ तनकृमन का राज जाना। राजकीय इंटर कालेज में शाम को भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का अयोजन किया गया। इसमें राई नृत्य और गायन, उत्तर प्रदेश का नृत्य और लोकप्रिय गायन हुआ और म्यूजिक बैंड की प्रस्तुति हुई।
हैरिटेज वॉक के दौरान जंगल से घिरे काल्पी फोर्ट के बारे में बताया गया कि कैसे वहां पर रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए 1858 में ग्वालियर की ओर रवाना हुए। जंगल से घिरा होने के कारण यह किला क्रांतिकारियों के छिपने और हमला करने के लिए सबसे अच्छी जगह था। किले से कुछ दूरी पर स्थित व्यास जी का मंदिर है। इसके बारे में जानने को लेकर पर्यटकों में विशेष आकर्षण देखने को मिला। उन्हें बताया कि नदी के किनारे बने महार्षि वेद व्यास जी ने गणेश भगवान की मदद से विश्व के सबसे बड़ा महाकाव्य की रचना की थी। कहते हैं कि लिखते-लिखते जब उनकी कलम टूट गई तो उन्होंने दांत तोड़कर कलम के रूप में इस्तेमाल किया और इसे पूरा किया।
मंदिर के बाहर नीम के पेड़ पर गणेश जी आकृति उभरी है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि व्यास जी बोल रहे हैं और गणेश भगवान लिख रहे हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि जालौन के प्रसिद्ध वकील मथुरा प्रसाद निगम ने 1850 से 1875 के बीच में लंका मीनार का निर्माण करवाया था। इसकी ऊंचाई लगभग 225 फीट है। मीनार कौड़ी, केसर, चना, गुड़ उड़द दाल और रसायनिक मिश्रित चीजों से मिलकर बनी हैं। इसे बनाने की कहानी भी रोचक है। वकील होने के साथ ही मथुरा प्रसाद रामलीला में नाटक करते थे। वहां उन्हें रावण का किरदार निभाने को मिलता।
रावण से वह बहुत प्रभावित थे। इन्हीं कारणों से उन्होंने इसके निर्माण का फैसला किया। इसके चारो रावण का परिवार दर्शाया गया है। नीचे कुम्भकरण, मेघनाथ, जनक वाटिका, धनुष यज्ञ, राम रावण सेना, नाग नागिन जोड़ा तथा पलंका में अयोध्या पुरी, मथुरापुरी सीता किचन बना है। यहां हर साल नांग पंचमी का मेला और दंगल का आयोजन होता है। सबसे खास बात इस मीनार की यह है कि इसमें भाई-बहन साथ नहीं जाते क्योंकि यह सात खंड में बना है। हर खंड एक चक्कर के समान है और सबसे ऊपर पहुंचने पर सात चक्कर होते हैं। हिंदु मान्यता के अनुसार सात फेरे पति-पत्नी लेते हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि राजकीय इंटर कालेज मैदान में शाम करीब 06.30 से सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राई लोक नृत्य और गायन, उप्र का नृत्य, लोकप्रिय गायन सहित अन्य आयोजन हुए, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही राजकीय इंटर कालेज मैदान में ही शाम लगभग 06.30 से रात 7.30 बजे तक टेथर्ड फ्लाइट्स का आयोजन हुआ। करीब 250 पर्यटकों ने इस भव्य आयोजन का आनंद लिया।
श्री जयवीर सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड गौरव महोत्सव अब इस क्षेत्र के विभिन्न शहरों-जालौन, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट और कालिंजर बांदा में जारी रहेगा। प्रत्येक गंतव्य अपने अनूठे आकर्षण को प्रस्तुत करेगा, जिसमें ऐतिहासिक स्थलों, पारंपरिक कला रूपों, स्वादिष्ट व्यंजनों और अनूठे अन्दाज़ में स्वागत से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। महोत्सव स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और कलाकारों के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने, बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत में योगदान और उसको बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।