उल्लेखनीय है कि त्रेता युग में भगवान राम के आगमन से चर्चित हुए धोपाप में स्नान के जरिए पापो से मुक्ति व् पुण्यो का अर्जन केवल धोपाप में ही संभव है। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूरी पर लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर तहसील लम्भुआ मुख्यालय से आठ किमी दूर धोपाप तीर्थस्थल पर स्नान के लिए भीड़ कल शाम से ही पहूँच गई। आज भोर से ही श्रद्धालुओं का सैलाब स्नान के लिए घाट की ओर निकल पड़ा। स्नान के लिए जिले ही नहीं पडोसी जनपद प्रतापगढ़, अमेठी,अम्बेडकर नगर, फैजाबाद, बस्ती, आजमगढ़ व जौनपुर के श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन किया।
जनश्रुतियो के अनुसार लंका विजय व रावण बध के उपरांत ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने इसी स्थल पर स्नान किया था। ऋषियों की सलाह पर ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए पत्तो से बने बर्तन में एक काला कौआ बैठाकर छोड़ा गया, इसी स्थल पर पहुँचते ही कौए का रंग सफेद हो गया, तब इसी स्थल का चयन कर स्नानोपरांत भगवान राम ब्रह्महत्या से मुक्त हो गए। भगवान राम ने यहाँ दीपदान किया। तभी से पापो से मुक्ति पाने के लिए श्रद्धालु यहाँ प्रत्येक गंगा दशहरा के पर्व पर स्नान के लिए उमड़ पड़ते है।
भीषण तपिश व गर्मी पर भक्तों की आस्था हावी दिखी। भोर तीन बजे से ही शुरू हुआ स्नान दान सुबह होते-होते बढ़ गया। दस बजे तक भीषण धूप व गर्मी के बावजूद हजारों लोग स्नान करने के लिए धोपाप घाट पर डटे हैं। यह भीड़ बढ़ती ही जा रही है। वहीं, प्रशासनिक अमला धाम पर डटा हुआ हैं। विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों की ओर से यहां भंडारा, पानी वितरण व खोया पाया शिविर लगाया गया है। गंगा दशहरा पर्व पर जो लोग धोपाप नहीं पहुंच पाए। उन्होंने अपने स्थानीय घाटो पर ही स्नान दान किया। शहर के सीताकुंड घाट पर सुबह से ही भीड़ रही। यहां पर हजारों लोगों ने स्नान दान किया। घाट पर मौजूद पुरोहितों के माध्यम से पूजा पाठ कर गोदान किया। यहां पर गोमती मित्र मंडल के स्वयं सेवक मेलार्थियों की सेवा में डटे रहे। इसी तरह दियरा घाट, कुड़वार घाट आदि घाट पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही।