प्रयागराज, साधु संतो ने महाकुंभ मेले में “पेशवाई और शाही स्नान” को मुगलों का प्रतीक मानते हुए इसके नाम में परिवर्तन किया है। अखाडा परिषद और उसके दूसरे धड़े श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अपने अलग-अलग नाम रखें हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की तरफ से पेशवाई के स्थान पर छावनी प्रवेश और शाही स्नान के स्थान पर राजसी स्नान नामों को बदलने का प्रस्ताव भी पास किया गया था। मुख्यमंत्री ने बैठक में इसको लेकर सुझाव मांगे थे। परिषद ने इन नामों को शासन के पास भेजने की बात कहता है।
परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी (निरंजनी अखाड़ा) और महामंत्री महंत हरि गिरि (जूना अखाड़ा) ने शाही स्नान की जगह राजसी स्नान और पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश करने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद से शाही स्नान की जगह “राजसी स्नान” और पेशवाई की जगह “छावनी प्रवेश” लिखा जाने लगा था।
अखाड़ा परिषद के दूसरे धडे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी की ओर से महाकुंभ के आमंत्रण पर शाही स्नान की जगह “कुंभ मेला अमृत स्नान” और पेशवाई की जगह “कुंभ मेला छावनी प्रवेश यात्रा” लिखा गया है। इस आमंत्रण पत्र में 2 जनवरी 2025 को कुंभ मेला छावनी प्रवेश शोभायात्रा (पेशवाई) और प्रथम कुंभ अमृत स्नान 14 जनवरी, द्वितीय कुंभ अमृत स्नान 29 जनवरी और तृतीय कुंभ अमृत स्नान 3 फरवरी लिखा हुआ है।
संन्यासी परंपरा के अखाड़े श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान अखाड़ों की पेशवाई और शाही स्नान सदियों से इस्तेमाल होते आए हैं। पेशवाई और शाही स्नान जैसे शब्द गुलामी के प्रतीत होते रहे हैं। इन नामों को मुगल काल में रखा गया होगा। महाकुंभ 2025 में गुलामी के प्रतीक वाले इन नामों को बदलने की चर्चा चल रही थी। जिसको देखते हुए हिंदी भाषा का नामकरण किया गया है। अखाड़े के आमंत्रण पत्र समेत अन्य दस्तावेजों में भी पेशवाई की जगह कुंभ मेला छावनी प्रवेश शोभायात्रा और शाही स्नान की जगह पर कुंभ अमृत स्नान नाम कर दिया गया है। इसी कार्ड के जरिये अखाड़े के संत, महंत, महामंडलेश्वर और अन्य लोगों को आमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है।