लखनऊ, प्रयागराज के महाकुंभ मेले में एक बार फिर बड़ी दुर्घटना हुई है. कल 7 बजे से ही काफी ज्यादा संख्या में श्रृद्धालू जन स्नान भी कर रहे थै और काफी बड़ी संख्या में श्रृद्धालुजन ब्रह्म मूहर्त का भी इंतजार कर रहे थे. तभी ये हादसा भारी भीड़ के द्वारा अखाड़ा मार्ग के बैरेकिटिंग्स को तोड़ने और उसके बाद उससे कूद करके जाने के कारण वहां पर हुआ. ये दुर्भाग्यपूर्ण हादसा मेला क्षेत्र के अखाड़ा मार्ग पर संगम के तट पर हुआ .
जानकारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से चार बार फोन पर बात की और हताहतों की मदद के संंबंध में दिशा-निर्देश दिए। गृहमंत्री अमित शाह, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी सीएम से बात की. इसके साथ ही सीएम ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर हाईलेवल मीटिंग भी बुलाई. इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी के साथ ही एडीजी कानून व्यवस्था शामिल रहे.इसके बाद सीएम की ओर से कहा गया कि अखाड़ा मार्ग पर की गई बैरिकेडिंग फांदकर आने में कुछ श्रद्धालु चोटिल हुए। इनमें से कुछ की हालत गंभीर है. जिनका इलाज चल रहा है.
घटना के करीब 16 घंटे बाद प्रशासन ने मौत का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया. डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने कहा कि भगदड़ में तीस लोगों की मौत हुई है. 25 मृतकों की पहचान हुई है. कुल 60 श्रद्धालु भगदड़ में घायल हुए. कुछ घायलों को उनके परिजन ले गए. कुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि चेंजिंग रूम के गेट पर भीड़ टकराने से भगदड़ मच गई. गेट गिरने से कई लोग घायल हो गए. भारी भीड़ की वजह से बैरिकेड्स टूट गए. प्रशासन ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है. इस पर लोग अपनों के बारे में जानकारी पा सकते हैं.
ताजा अपडेट ये है कि महाकुंभ में हुए हादसे के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने मृतक के परिजनों को 25 लाख की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. सीएम योगी ने कहा कि 30 के आसपास लोगों की मृत्यु हुई है। इसके साथ ही पुलिस के स्तर से भी जांच की बात सीएम योगी की तरफ से कही गई है.
महाकुंभ में मची भगदड़ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मौनी अमावस्या पर पवित्र डुबकी लगाने के लिए कल शाम 7 बजे से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज में एकत्र हुए थे। अखाड़ा मार्ग पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई जिसमें 90 से अधिक लोग घायल हो गए और 30 लोगों की मौत, अभी तक पांच शवों की पहचान नहीं हो पाई है. 36 लोगों का इलाज चल रहा है,
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घटना दिल दहला देने वाली है। हम उन सभी परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया। हम कल रात से लगातार प्रशासन के संपर्क में हैं। मेला प्राधिकरण, पुलिस, प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य जो भी व्यवस्थाएं की जा सकती थीं, उन्हें वहां तैनात कर दिया गया है.
जो लोग घायल हैं और जिन मृतकों की पहचान हुई, उनमें से ज्यादातर के परिजनों का कहना है कि अचानक पीछे से तेजी से भीड़ आने की वजह से भगदड़ मची। ऐसा नही है कि कुंभ में पहली बार एसा हादसा हुआ है. इससे पहले भी कई बार कुँभ में हादसे हो चुकें हैं। तीन फ़रवरी 1954 को मौनी अमावस्या के मौक़े पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु संगम तट पहुँचे थे. यह आज़ादी के बाद का पहला कुंभ था. कहा जाता है कि एक हाथी की वजह से भगदड़ मच गई. इसमें 800 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. सैकड़ों घायल हुए थे.
1986 में हुए हरिद्वार कुंभ में मची भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई थी.
1992 में उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला लगा था. इस दौरान मची भगदड़ में करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी.
साल 2003 में नासिक में आयोजित कुंभ मेले में, संतों ने चांदी का सिक्का लुटाया था.
इसे लेने के लिए आपाधापी मची. इसकी वजह से भगदड़ हो गई और क़रीब 30 लोगों को जान गँवानी पड़ी. 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे.
2010 में हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था. शाही स्नान के दिन साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच कुछ बहस हुई.इसके बाद भगदड़ मच गई. इसमें पांच लोगों की मौत हुई थी.
2013 में आयोजित कुंभ में रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की ज़बरदस्त भीड़ थी. रॉयटर्स स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 29 महिलाएँ थीं.
लेकिन अफसोस इस बात का है कि इतने हादसों के बाद भी हमने सबक नही लिया. ज्यादातर हादसों मे वजह मिलती जुलती है. अत्यधिक भीड़ होना, भीड़ को नियंत्रित नही कर पाना, जिसके कारण भगदड़ होना खास वजहें रहीं हैं. अत्याधुनिक तकनीक और पर्याप्त धन व विशेषज्ञ लोगों की टीम के बावजूद हम हादसे को रोक नही पाये. इस पर न केवल गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है बल्कि लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित कर कार्य करने की जरूरत है.