छोटी नदियों के कायाकल्प से किसानो को बड़ी उम्मीदें

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश में विलुप्त प्राय: हो चुकी छोटी नदियों के पुनर्जीवन से ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह की लहर है। किसानो की उम्मीद है कि नदियों में जल की धारा बहने से न सिर्फ सिंचाई में सुविधा होगी बल्कि नदी के आसपास का क्षेत्र हरा भरा और उपजाऊ हो जायेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग नदियों को उनका प्राचीन स्वरुप देने के लिये युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं जिसका परिणाम है कि वर्षों से सूखी, गाद से भरी और अतिक्रमण की शिकार रही ईशन नदी अब फिर से बहने लगी है। एटा, हाथरस, मैनपुरी, कन्नौज और कानपुर नगर में यह नदी हरियाली और खुशहाली का संदेश लेकर लौटी है।

प्रदेश में छोटी नदियों के कायाकल्प का अभियान न केवल पारिस्थितिकी को संजीवनी दे रहा है, बल्कि किसानों की खुशहाली का माध्यम भी बन रहा है। एटा के जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने बताया कि एटा जिले में 57 किलोमीटर लंबी ईशन नदी का पूरी तरह पुनरुद्धार हो जाने के बाद 44 ग्राम पंचायतों के किसान इससे लाभान्वित होंगे। मनरेगा के तहत तालाबों की खुदाई की गई, वहीं वन विभाग तथा संबंधित जिला गंगा समितियों ने नदी के किनारे बड़े पैमाने पर पौधरोपण कर हरियाली को बढ़ावा दिया है।

ईशन नदी का चल रहा पुनरुद्धार अब पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल बन रहा है। ईशन नदी एटा के विकास खण्ड निधौली कलां के ग्राम नगला गोदी (ग्राम पंचायत मनौरा) से एटा में प्रवेश करती है। सीडीओ डॉ नागेन्द्र नारायण मिश्र के अनुसार यह नदी निधौली कलां के 10, शीतलपुर के 4 और सकीट के 30 ग्राम पंचायतों से गुजरती है। एटा जिले की कुल 44 ग्राम पंचायतों से होते हुए यह नदी मैनपुरी, कन्नौज से गुजरकर कानपुर नगर के बिल्हौर में गंगा नदी में समाहित हो जाती है।

यह वही नदी है जो कभी अतिक्रमण से दब चुकी थी, लेकिन अब जीवनदायिनी जलधारा बन रही है। सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग के तकनीकी सहयोग ने इस काम को आसान बनाया, जबकि प्रमुख नालों की सफाई का कार्य सिंचाई ड्रेनेज खण्ड द्वारा किया गया। जल संकट को देखते हुए नदी को सदानीरा बनाए रखने हेतु यह योजना बनाई गई है। नदी का यह पुनर्जागरण न सिर्फ एक पर्यावरणीय प्रयास है, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक बदलाव की कहानी भी है।

Related Articles

Back to top button