नौसेना के बेड़े की शान बनेगा पनडुब्बी रोधी युद्धपोत एंड्रोथ

नयी दिल्ली, नौसेना को अगले महीने दूसरा अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत एंड्रोथ मिलने वाला है जिससे उसकी मारक क्षमता कई गुना बढ जायेगी। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि 6 अक्टूबर को विशाखापत्तनम में यह युद्धपोत नौसेना के बेड़े में शामिल होगा।

इस अवसर पर नौसेना की पूर्वी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर मुख्य अतिथि होंगे। एंड्रोथ सोलह पनडुब्बी रोधी पोतों में से दूसरा पोत है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता द्वारा निर्मित इस युद्धपोत में 80 प्रतिशत साजो सामान स्वदेशी है और यह सरकार के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण तथा भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का ज्वलंत प्रतीक है।

‘एंड्रोथ’ नाम का रणनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व है और यह लक्षद्वीप द्वीपसमूह के एंड्रोथ द्वीप से लिया गया है। यह द्वीप भारत की विशाल समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अपने पिछले अवतार में आईएनएस एंड्रोथ (पी 69) ने सेवामुक्त होने से पहले 27 वर्षों से अधिक समय तक राष्ट्र की विशिष्ट सेवा की।
उन्नत हथियार प्रणाली , सेंसर सूट, आधुनिक संचार प्रणालियों और वाटरजेट प्रणोदन से लैस एंड्रोथ पानी के भीतर के खतरों का सटीकता से पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम है। इसकी अत्याधुनिक क्षमताएँ इसे विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने के लिए समुद्री निगरानी, खोज एवं बचाव अभियान, और तटीय रक्षा मिशनों को अंजाम देने में भी सक्षम बनाती हैं।

एंड्रोथ भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को मज़बूत करने की दिशा में एक और कदम है। यह पोत न केवल नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि स्वदेशी प्रयासों के माध्यम से विश्व स्तरीय युद्धपोतों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण के राष्ट्र के संकल्प की भी पुष्टि करेगा।

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