केंद्र की बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत फंड का ऐलान किया लेकिन उत्तर प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए कुछ नही दिया है. सरकार ने सूखा प्रभावित मध्य प्रदेश के लिए 2022 करोड़ और महाराष्ट्र को 3100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की.उत्तर प्रदेश ने भी मोदी सरकार से वर्ष 2015-16 के लिए सूखे से निपटने के लिए लगभग 2000 करोड़ रूपए की सहायता राशि मांगी है. किंतु उत्तर प्रदेश को सहायता राशि नही मिली.
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, देश भर में पिछले दो सालों से बारिश की कमी से कई राज्य सूखे का सामना कर रहे हैं. अलग-अलग राज्यों से जो भी मांग आ रही है केंद्र सरकार उस पर तेज गति से निर्णय ले रही है. मोदी सरकार की ओर से यह घोषणा किए जाने से पहले कृषि मंत्रालय, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया. बैठक के दौरान उस केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर भी गौर किया गया जिसने दोनों राज्यों में सूखे की स्थिति का जायजा लिया था.सरकार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों राज्यों को दी जाने वाली ये धनराशि राष्ट्रीय राहत कोष से दी जाएगी.
कृषि मंत्री के मुताबिक, कई राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ को 2010-11 से 2013-14 तक कभी भी सूखा राहत (NDRF) से नहीं मिला इसे 2015-16 में इस राज्य ने 6 हजार करोड़ की सहायता मांगी थी. उन्हें 1,672 करोड़ रुपए NDRF में दिए गए हैं. मध्यप्रदेश ने 2013-14 में NDRF में 5,700 करोड़ की मांग की थी, उन्हें सिर्फ 494 करोड़ दिए गए, जबकि वर्तमान सरकार आने पर मध्यप्रदेश ने 2015-16 में 4 हजार 8 सौ करोड़ की मांग की थी- उन्हें लगभग 2022 करोड़ रुपए की एनडीआरएफ ने मंजूरी दी है.
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, जो सबसे ज्यादा सूखे का शिकार होता है, इस राज्य ने 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में राष्ट्रीय आपदा कोष से 10,582 करोड़ की मांग की, लेकिन उसे सिर्फ 2642 करोड़ मिला, जबकि वर्तमान सरकार आने पर 2014-15, 2015-16 में कुल 8,823 करोड़ की मांग की और अब तक राज्य को लगभग 5 हजार करोड़ रुपये दिए गए.