लखनऊ, विधानसभा में आज प्रश्नकाल नहीं हो सका। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तहत विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा और बसपा के सदस्य राज्य की खराब कानून-व्यवस्था और बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार कांड मामले में विवादास्पद बयान देने वाले मंत्री आजम खां के इस्तीफे की अलग-अलग मांगों को लेकर सदन के बीचोंबीच आकर नारेबाजी करने लगे।
बसपा सदस्यों ने हाथों में भ्रष्टाचारी और किसान विरोधी सरकार के नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं और वे राज्य की कानून-व्यवस्था के खराब होने के आरोप लगाकर नारेबाजी कर रहे थे। वहीं, भाजपा सदस्य आजम खां के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों को अपने-अपने स्थान पर बैठने को कहा। शोरगुल और हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने समूचे प्रश्नकाल की कार्यवाही स्थगित कर दी।
बाद में, संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि बुलंदशहर बलात्कार मामले को लेकर आजम खां की टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिये उन्हें उच्चतम न्यायालय में माफी तक मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा आजम खां को सदन में बैठने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। हमारी मांग है कि वह इस्तीफा दें। मालूम हो कि गत 29 जुलाई की रात को बुलंदशहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर लुटेरों के एक गिरोह ने नोएडा के रहने वाले एक परिवार की कार रुकवा कर उसमें बैठी एक महिला और उसकी बेटी को आतंकित करके गाड़ी से खींच लिया था और खेत में ले जाकर दोनों से सामूहिक बलात्कार किया था। प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां ने इंसानियत को झकझोरने वाली इस वारदात के पीछे राजनीतिक साजिश की आशंका जतायी थी। उच्चतम न्यायालय ने 29 अगस्त को खां के बयान का स्वतः संज्ञान लिया था। गत 17 नवंबर को न्यायालय ने खां को अपने बयान पर बिना शर्त माफी मांगने के निर्देश दिये थे। इस पर खां ने पिछले हफ्ते क्षमा मांग ली थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर बुलंदशहर बलात्कार कांड की जांच सीबीआई के हवाले की गयी है।