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लोकतंत्र में, विरोधी विचारों के प्रति सम्मान और धैर्य बहुत जरूरी- राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी

president-pranab-mukherjee_650x400_नयी दिल्ली,राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि गरीबों को राहत देने में तेजी लाए जाने की जरूरत है ताकि भूख, बेरोजगारी और शोषण मुक्त समाज बनाने के लिए किए जा रहे राष्ट्रीय प्रयासों में वे सक्रिय भागीदारी कर सकें। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यपालों और उपराज्यपालों को नये साल के संदेश में कहा कि काले धन और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष से अर्थव्यवस्था में कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है। गरीबों के कष्टों को दूर करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। उन्हें राहत देने में तेजी लाए जाने की जरूरत है ताकि भूख, बेरोजगारी और शोषण मुक्त समाज के लिए किए जा रहे राष्ट्रीय प्रयासों में वे सक्रिय भागीदारी कर सकें।
उन्होंने कहा कि इस साल सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे और पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों ने देश के लोकतंत्र को दुनिया का एक सबसे जीवंत लोकतंत्र बनाया है। चुनाव से पता चलता है कि देश की राजनीति के प्रति लोगों का रुख क्या है और इससे उनके मूल्यों और विश्वास का भी पता लगता है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि राज्यपाल और उपराज्यपाल अपने संवाद और बुद्धिमत्तापूर्ण परामर्श से समाज में तनाव कम करने में सहायक हो सकते हैं। भारत जैसे बहुलवादी लोकतंत्र में विरोधी विचारों के प्रति सम्मान और धैर्य बहुत जरूरी है और इन मूल्यों को कायम रखा जाना चाहिए। राज्यपाल और उपराज्यपाल अपने राज्यों में देश की सभ्यता के बहुविध धर्मए विश्वास और संस्कृति की विविधता को लोगों के जीवन में उतारने के लिए अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्यपालों को अपने राज्यों में उच्च शिक्षा में सुधार लाने में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और अभ्यागतों के रूप में वे उच्चतर शिक्षा के संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में शैक्षिक जगत के प्रमुखों के साथ मिलकर काम कर सकते

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