लखनऊ, उत्तर प्रदेश में राज्य विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में नजीर स्थापित करेगा। चुनाव प्रचार की सीमा तय करने के साथ निर्वाचन आयोग विभिन्न स्तर पर संवाद स्थापित करने के लिये कागज के बजाय तकनीक पर अधिक तवज्जो देगा।
मसलन, राजनीतिक पार्टियां और प्रशासन एक दूसरे से लिखा पढी की बजाय ऑनलाइन संवाद स्थापित करेंगे। पार्टी नेताओं और प्रत्याशियों को समस्या एवं सुझाव के लिए कलेक्ट्रेट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इसके लिए बाकायदा साफ्टवेयर तैयार किया गया है जिसके जरिये प्रशासन चुनाव आयोग को पल पल की जानकारी ऑनलाइन देता रहेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि इस बार प्रत्याशियों काे प्रतिदिन खर्च का ब्योरा ऑनलाइन फीड करना होगा। इसके लिए पहले की तरह अब कोई रजिस्टर नहीं बनेगा। दूरदराज क्षेत्रों में कार्यरत होने के कारण मतदान करने में अक्षम पेशेवरों को ई.पोस्टल से बैलेट पेपर भेजा जायेगा और वह उसे डाक द्वारा वापस भेजेंगे। यही नहीं चुनाव व्यवस्था में लगी गाड़ियां ग्लोबर पोजीशनिंग सिस्टम ;जीपीएस से लैस होगी जिससे उनकी सही लोकेशन के साथ सही तेल के खर्च का भी आकलन किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि चुनाव प्रक्रिया में राजनीतिक दल अपनी शिकायत और सुझाव ऑनलाइन दे सकते हैं जिसके त्वरित समाधान की जिम्मेदारी संबंधित जिला प्रशासन की होगी। प्रत्याशी कोई भी विज्ञापन प्रशासनिक कमेटी से स्वीकृत कराकर ही प्रकाशित करा सकेगा। आयोग इस दफा पेड न्यूज़ के साथ साथ सोशल साइट पर भी पैनी निगाह रखेगा।
सूत्रों ने बताया कि 2012 के विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी वाले क्षेत्रों में इस बार अराजक तत्वाें पर पैनी निगाह रखी जा रही है। ऐसे लोगों पर समय से पहले कार्रवाई की जायेगी। चुनाव के शांतिपूर्ण और निष्पक्ष कराये जाने के सभी जरूरी इंतजाम किये गये हैं।