वाशिंगटन/नई दिल्ली, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वर्ष 2015 में स्थापित हॉटलाइन 20 जनवरी के बाद भी जारी रहेगी। निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपना कार्यभार 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप को सौंप देंगे जो देश के नये राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने जा रहे हैं। सरकार के प्रमुखों के बीच संचार के लिए स्थापित की गई एक सीधी टेलिफोन लाइन को हॉटलाइन कहते हैं। ओबामा प्रशासन के आठ वर्षों के दौरान केवल यही एक नई हॉटलाइन स्थापित की गई थी और यह भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंधों की प्रतीक है।
व्हाइट के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा, अगर इस तरह की चीजें बंद की जाएंगी तो मुझे बहुत हैरानी होगी। उन्होंने सोमवार को एक सवाल के जवाब में कहा, आमतौर पर इस तरह की चीजों को किसी एक राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद भी जारी रखा जाता है। हॉटलाइन स्थापित करने के निर्णय को उस समय अंतिम रूप दिया गया था जब ओबामा ने वर्ष 2015 में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए भारत की ऐतिहासिक यात्रा की थी। साल 2015 में ओबामा की भारत यात्रा के समय मोदी ने कहा था कि यह प्रयास दोनों देशों के बीच की महत्वपूर्ण भागीदारी को एक नया बल देने और इस पर बराबर ध्यान देने के लिए उठाये जाने वाले कदमों का एक हिस्सा है।
यह हॉटलाइन साल 2015 के आखिर में स्थापित हो गई और तब से दोनों नेताओं ने कई बार हॉटलाइन पर बातचीत की। हालांकि उनमें से कुछ बातचीत ही सार्वजनिक की गई थी। भारत में अमेरिका के राजदूत के अनुसार, उनमें से एक बातचीत एक घंटे से अधिक समय तक चली थी। रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद भारत वह चौथा देश है जिसका अमेरिका के साथ हॉटलाइन संपर्क है। भारत के लिए देश के प्रमुख के स्तर पर यह पहली हॉटलाइन है। वर्ष 2004 में भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिवों के स्तर पर हॉटलाइन स्थापित करने की सहमति बनी थी और वर्ष 2010 में नई दिल्ली और बीजिंग ने विदेश मंत्रालय के स्तर पर एक हॉटलाइन स्थापित करने की घोषणा की थी।