फतेहपुर, हुसैनगंज विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे पप्पू सिंह चौहान के आने से भाजपा उम्मीदवार रणवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह की मुश्किलें बढ़ जाना स्वाभाविक है। क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी एक ही बिरादरी के हैं। पिछला चुनाव भी धुन्नी सिंह इसी विधानसभा से सेटिंग विधायक की हैसियत से लड़े थे, लेकिन उन्हें अपने सजातीय मतदाता वाले कई क्षेत्रों से हार का सामना करना पड़ा था। कुल मिलाकर रालोद प्रत्याशी भाजपा उम्मीदवार को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। गौरतलब है कि हुसैनगंज विधानसभा सीट से पहले खागा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर वर्ष 2007 में धुन्नी सिंह चुनाव जीते थे। इस बार के चुनाव में भी भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। इसी सीट पर बसपा के सिटिंग विधायक मुहम्मद आसिफ व पूर्व मंत्री मुन्नालाल मौर्य की पत्नी ऊषा मौर्या भी मैदान में हैं। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है। क्योंकि आसन्न चुनाव में सपा व कांग्रेस के बीच गठबंधन हो चुका है। वर्ष 2012 के चुनाव में जहां निर्वाचित बसपा विधायक मुहम्म्द आसिफ ने अपनी निकटतम प्रतिद्वन्दी कांग्रेस प्रत्याशी ऊषा मौर्या को 2800 मतों के अन्तर से हराया था। तब ऊषा को लगभग 42000 मत मिले थे। ऊषा मौर्या दूसरे स्थान पर रहीं। जबकि भाजपा प्रत्याशी धुन्नी सिंह तीसरे स्थान पर थे। इसके अलावा सपा उम्मीदवार राफेराना ने 29000 वोट हासिल किए थे। यदि पिछले चुनाव के मिले वोटों को जोड़ दिया जाए तो सपा व कांग्रेस के खाते में लगभग 71000 वोट होते हैं। इस चुनाव में भिटौरा ब्लाक प्रमुख परिवार के पप्पू सिंह चौहान राष्ट्रीय लोकदल से प्रत्याशी हैं। वर्तमान में ब्लाक प्रमुख होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार धुन्नी सिंह के लिए रालोद प्रत्याशी मुसीबतों में और इजाफा कर सकता है।