नई दिल्ली, डिस्काऊंट देकर ग्राहक बनाने का तरीका ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए घातक साबित हो रहा है। हाल ही में ई-कॉमर्स सैक्टर में कर्मचारियों की छंटनी की तादाद में इजाफा हुआ है। वर्ष 2016 में जुलाई महीने में फ्लिपकार्ट ने 700 लोगों को नौकरी से निकाला था। वहीं 2016 में स्नैपडील ने फरवरी महीने में 200 लोगों की छंटनी की थी। इससे पहले भी जोमैटो, टाइनी आऊल, ग्रॉफर्स जैसी बड़े ई-कॉमर्स कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की थी। फूडपांडा ने दिसंबर 2015 में करीब 300 लोगों को निकाला था।
अब आगे ई-कॉमर्स में कंपनियां बंद होंगी या बड़े मर्जर होते नजर आ सकते हैं जिस कारण ई-कॉमर्स कंपनियों का गुब्बारा अब फूटने वाला है। ग्राहक अब भूल जाएं कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन शॉपिंग पर उन्हें मोटा डिस्काऊंट मिलेगा। स्नैपडील की मैनेजमैंट ने कर्मचारियों से सभी स्तरों पर छंटनी होने और कुछ दिनों में प्रक्रिया पूरी होने की बात कही थी। फिलहाल स्नैपडील में करीब 8000 कर्मचारी काम कर रहे हैं और इस समय कंपनी को नया फंड जुटाने के लिए अमेजॉन और फ्लिपकार्ट से चुनौती मिल रही है।
दरअसल स्नैपडील के चमक खोने के पीछे जो वजह बताई जा रही है उसमें से एक यह है कि कंपनी के पास इनहाऊस लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इसके अलावा कंपनी ने जरूरत से ज्यादा विस्तार किया। स्नैपडील ने 2010 से अब तक 13 कंपनियों का अधिग्रहण किया है जबकि कंपनी 2010 में बनाई गई थी। कुणाल बहल और रोहित बंसल स्नैपडील के फाऊंडर हैं। स्नैपडील जैसी कई बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनियों में छंटनी के बाद अब यैपमी भी 80 प्रतिशत स्टाफ की छंटनी करने जा रही है।
यैपमी के कर्मचारियों को अक्तूबर महीने से सैलरी नहीं मिल रही है। वित्त वर्ष 2016 में कंपनी को 184 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। सूत्रों की मानें तो कंपनी फंड की कमी से जूझ रही है और फुल एंड फाइनल सैटलमैंट के दबाव में कर्मचारियों ने चुप्पी साध रखी है। वहीं फ्लिपकार्ट कंपनी की भी दिक्कतें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। जनवरी 2017 में कंपनी का वैल्युएशन 7वीं बार घटा है। कंपनी का वैल्युएशन 15 अरब डॉलर से घटकर 5.6 अरब डॉलर हो गया है। सूत्रों के मुताबिक अब कंपनी अपने खर्च को आधा कर 2 करोड़ डॉलर प्रति महीना करने की तैयारी में है।