बेंगलुरु, भारतीय कप्तान विराट कोहली ने आस्टेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ पर एक तरह से डीआरएस के इस्तेमाल में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए बड़ा विवाद खड़ा कर दिया जिससे दोनों टीमों के बीच तनाव बढ़ गया है। कोहली ने भारत की यहां दूसरे टेस्ट में 75 रन की जीत के बाद कहा, हम डीआरएस का निरंतर सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं लेकिन हम अपने फैसले मैदान पर लेते हैं, हम ड्रेसिंग रूम से पुष्टि नहीं मांगते। उन्होंने कहा, मैंने बल्लेबाजी करते हुए दो बार देखा। मैंने देखा कि उनके खिलाड़ी ऊपर की ओर देख रहे थे।
मैंने अंपायरों को बताया, कि यह रूकना चाहिए। मैं शब्द का जिक्र नहीं करना चाहता लेकिन यह उस दायरे में आता है। मैं ऐसा कुछ क्रिकेट के मैदान पर नहीं करूंगा। यह पूछने पर कि वह आस्ट्रेलियाई टीम पर धोखाधड़ी का आरोप लगा रहे हैं तो कोहली ने कहा, मैंने ऐसा भी नहीं कहा है। आस्ट्रेलियाई पारी के 21वें ओवर में जब स्मिथ को तेज गेंदबाज उमेश यादव ने पगबाधा आउट किया तब मेहमान टीम के खिलाड़ी पसोपेश में थे कि वे स्मिथ के लिये डीआरएस लें या नहीं लें क्योंकि पहले ही डेविड वार्नर के लिये एक डीआरएस लिया जा चुका था जो भारतीय टीम के पक्ष में रहा था। स्मिथ पहले नान-स्ट्राइकर छोर पर मुड़े ताकि राय ली जा सके लेकिन चीजें तब गर्म होने लगी जब अंपायर ने देखा कि यह बल्लेबाज ड्रेसिंग रूम की ओर भी मुड़ा है।
मैदानी अंपायर ने तुरंत ही हस्तक्षेप कर स्मिथ को रोकने की कोशिश की लेकिन मामले ने तब तूल पकड़ा जब कोहली भी अधिकारियों से बात करने में शामिल हो गये। डीआरएस के इस्तेमाल के संबंध में नियम स्पष्ट हैं कि ड्रेसिंग रूम से कोई संकेत नहीं दिया जाना चाहिए। मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में स्मिथ ने इसे तूल नहीं देने की कोशिश की और कहा कि उन्हें याद नहीं और यह ऐसी चीज है जो उन्होंने नहीं की होगी। लेकिन कोहली छोड़ने के मूड में नहीं थे और उन्होंने दावा किया कि यह पहली बार नहीं है जब आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने डीआरएस फैसले को लेने के लिये ड्रेसिंग रूम से निर्देश नहीं लिया हो।कोहली ने कहा, मैं सिर्फ कह सकता हूं, अगर यह दो बार से ज्यादा होता है तो यह भूल नहीं होनी चाहिए।
मैदान पर स्मिथ और कोहली के बीच भी इससे थोड़े गर्मागर्म शब्दों का आदान प्रदान हुआ, इसके बाद स्मिथ पवेलियन लौट गये। दोनों कप्तानों के बीच इस सीरीज के दौरान अभी तक मैदान पर कई बार कहासुनी हो चुकी है। भारत बनाम आस्ट्रेलिया मैच कभी भी विवादों से दूर नहीं रहे, जिसकी शुरूआत 1981 से हुई। एमसीजी पर मिली मशहूर जीत भी विवादों से घिर गयी थी जब सुनील गावस्कर डेनिस लिली की गेंद पर पगबाधा आउट करार किये जाने के बाद अपने साथी के साथ मैदान छोड़कर चले गये। लिली ने कुछ टिप्पणी की थी जिससे गावस्कर नाराज हो गये और उन्होंने अपने जोड़ीदार चेतन चौहान को भी अपने साथ मैदान से बाहर चलने के लिये कहा।
मद्रास में 1986 में हुए टाई हुए टेस्ट में अंपायर वी विक्रमराजू का ग्रेग मैथ्यूज की गेंद पर मनिंदर सिंह को पगबाधा किये जाने के फैसले पर भी भारतीय के सदस्यों द्वारा सवाल उठाये गये थे। बल्कि भारतीय टीम का एक सीनियर खिलाड़ी अंपायर के कमरे में गया और विक्रमराजू को खरी खोटी सुनाई। वर्ष 2001 ऐतिहासिक सीरीज में सौरव गांगुली ने आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को सभी तीनों टेस्ट मैचों में टास के लिये इंतजार कराया जो आस्ट्रेलियाई टीम को जरा भी पसंद नहीं आया। इन सबमें सबसे बड़ा विवाद 2007-08 सीरीज में सिडनी में मंकीगेट प्रकरण रहा जिसमें हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स शामिल थे।
साइमंड्स ने आरोप लगाया कि हरभजन ने उन्हें बंदर कहा जो आस्ट्रेलिया में नस्ली टिप्पणी है। इसके लिये जांच आयोग भी बिठाया गया जिसमें हरभजन आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम द्वारा लगाये गये आरोपों में बरी हो गये थे। मैच में अंपायरों के विवादास्पद फैसले भी शामिल रहे जिसके बाद कप्तान अनिल कुंबले ने कहा, केवल एक टीम ही खेल भावना के अंतर्गत खेली। भारतीय मीडिया दल ने कुंबले की प्रशंसा की जो बाद में तब के आस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोटिंग के साथ शाब्दिक जंग में फंस गया। वर्ष 2010 की जहीर खान की उन्हें रन आउट किये जाने के बाद रिकी पोटिंग पर मजाक में की गयी टिप्पणी को भी नहीं भुलाया जा सकता जिसमें भारतीय खिलाड़ी ने उन्हें उसेन बोल्ट कहा था। इसके बाद पोंटिंग उनसे लड़ने के लिये पहुंच गये।