चंडीगढ़, कांग्रेस से सबसे मजबूत क्षेत्रीय क्षत्रपों में से एक अमरिंदर सिंह ने शिअद को करारी शिकस्त देकर और आप के दिल्ली से आगे पैर जमाने के सपने को चकनाचूर करते हुए पंजाब में एक बार फिर अपनी पार्टी को जीत दिला दी।
व्यापक रूप से लोकप्रिय एवं सम्मानित नेता अमरिंदर ने 117 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 77 सीटों पर शानदार जीत दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। 10 साल बाद पंजाब में महाराजा की जीत ने कांग्रेस के पुनरत्थान की उम्मीदों को जगा दिया है।
अमरिंदर उन बहुत कम नेताओं में शामिल हैं जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान लड़े थे। अकाली दल सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल ने वर्ष 2007 एवं वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री बनने की उनकी पूर्व की कोशिशों को नाकाम कर दिया था लेकिन इस बार अमरिंदर को सफलता मिली।
किसी समय अकाली दल के नेता रहे ‘पटियाला के वंशज’ वर्ष 1965 के युद्ध में लड़े थे। उन्होंने इससे कुछ ही महीनों पहले सेना ने इस्तीफा दे दिया था लेकिन वे बाद में फिर से सेना में शामिल हुए और उन्होंने युद्ध लड़ा। उन्होंने बाद में युद्ध की समाप्ति पर सेना से फिर से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर पटियाला के दिवंगत महाराजा यादविंदर सिंह के पुत्र हैं। उनकी पत्नी परनीत कौर पटियाला से सांसद रह चुकी हैं।