नई दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन दरगाह के गद्दानशीं समेत दो मौलवी के रहस्यमय हालत में पाक से लापता होने के बाद से ही दोनों देशों की जांच एजेंसियां उनकी तलाश में जुट हुई है। हालांकि तीन दिन से लापता मौलवियों का कोई भी सुराग जांच एजेंसियों के हाथ नहीं लग पाया है।
सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हैं। सज्जादानशी के पुत्र शाजिद अली निजामी ने कहा कि हमारे पास सूचना है कि वह कराची में हैं तथा उन्हें जल्द रिहा कराया जाए। गृह मंत्रालय भी मामले पर नजर बनाए रखे हुए हैं। लापता दरगाह गद्दानशीं के परिवार की मानें तो वह कराची में अपनी बीमार बहन से मिलने के लिए गए थे। लेकिन इसके बाद लाहौर में दो दरगाहों की जियारत करने के बाद से ही कहीं गायब हो गए। लापता मौलवियों की शिनाख्त सैयद आसिफ अली निजामी और उनके भतीजे नाजिम अली निजामी के रूप में हुई है। फिलहाल विदेश मंत्रालय पाक सरकार से संपर्क कर पूरे मामले की जानकारी जुटा रहा है।
जानकारी के अनुसार सैयद आसिफ अली निजामी अपने परिवार के साथ निजामद्दीन इलाके में रहते है। इनके परिवार में पत्नी 4 बेटे व अन्य सदस्या है। जबकि उनके भतीजे सैयद नाजिम अली निजामी भी पड़ोस में ही पत्नी, 3 बेटों के साथ रहते है। दरगाह गद्दानशीं के बेटे आमिर निजामी ने बताया कि उनके पिता आसिफ निजामी की छोटी बहन कमरजहां (90) पाकिस्तान स्थित कराची में रहती है। वह काफी समय से बीमार चल रही हैं। उनको देखने के लिये उनके पिता अपने भतीजे नाजिम निजामी के साथ 6 मार्च की शाम पाकिस्तान जाने के लिए एयरपोर्ट जाने के लिए निकल गए। जबकि 20 मार्च की सुबह वापस के लिए कराची एयरपोर्ट से ही फ्लाइट थी। करीब सात दिन कराची में अपनी बहन कमर जहां के यहां रुकने के बाद वह लाहौर स्थित दो दरगाहों पर जायरत करने के लिए निकल गए। इसके बाद दोनों मौलवियों ने पहले 13 मार्च की सुबह बाबा फरीद गंजशकर दरगाह की जायरत की। इसके बाद दोनों ने 14 मार्च की सुबह दाता दरबार दरगाह पर चादर चढ़ाई।
लापता होने वाले दिन सुबह आसिफ निजामी ने अपने भांजे वसीम निजामी को फोन कर कहां कि वह कराची हवाईअड्डे पर है। लेकिन नाजिम निजामी को लाहौर एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया है। इसके बाद जब वसीम निजामी ने उनका फोन मिलाया तो उनका मोबाइल फोन बंद आ रहा था। जिसके बाद वसीम ने दिल्ली फोन कर इस बात की जानकारी दी। फिलहाल विदेश मंत्रालय पूरे मामले पर अपनी नजर बनाये हुये है। 12 मार्च की रात करीब 11 बजे आमिर निजामी की अपने पिता से आखिरी बार व्हाट्सऐप पर बात हुई थी। उस समय वह कराची एयरपोर्ट पर फ्लाइट के इंतजार में बैठे हुए थे। उन्होंने व्हाट्सऐप बताया था कि आज 30 साल के बाद अपनी बहन से मिलकर बेहद खुशी महसूस हो रही हैं। आज उनकी दोनों खुव्वाईशा पूरी हो गई है। आमिर निजामी ने बताया कि उनका पिता की हमेशा से खुआईश थी कि हजरत निजामुद्दीन साहब के गुरु बाबा फरीद गंज शकर और दाता दरबार दरगाह पर जाए।