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बीजेपी मे अगड़ों और पिछड़ों के बीच और तेज हुआ घमासान

लखनऊ, यूपी में पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वोट बैंक पर फोकस कर सत्ता हथियाने वाली बीजेपी अब खुद जातीय संघर्ष  से जूझ रही है। यूपी मे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी मे अगड़ों और पिछड़ों के बीच चल रहा घमासान और तेज हो गया है।

वर्ष 2017 के रण में अगड़ों के साथ-साथ पिछड़ों ने भाजपा की नैया पार लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन इन पांच सालों मे माहौल बदल गया है। मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह से एन वक्त पर पिछड़े वर्ग के केशव प्रसाद मौर्या को किनारे कर योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया गया, उससे पिछड़ों को पहला बड़ा झटका लगा। उसके बाद ओम प्रकाश राजभर के साथ हुये भेदभाव से दलित और पिछड़ा वर्ग सकते में आ गया। पूरे कार्यकाल मे जिस तरह से दलितऔर पिछड़े मंत्रियों और विधायकों की अनदेखी हुई उससे इस समाज के विधायकों मे पार्टी और सरकार को लेकर गुस्सा बढ़ा। पर सरकार रहते दलित पिछड़े विधायक खामोश रहे।

लेकिन 2022 की चुनावी अधिसूचना जारी होते ही बीजेपी मे भूचाल सा आ गया है। दलितों पिछड़ों के साथ भेदभाव का गंभीर आरोप लगाते हुये मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित तीन मंत्रियों और 14 विधायकों ने बीजेपी छोड़ कर बड़ा झटका दिया। दरअसल मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित तीन मंत्रियों और 14 विधायकों के पाला बदलने के बाद से बीजेपी दलितों और पिछड़ों के  मोहभंग होने और समाजवादी पार्टी द्वारा बाजी मार लेने की अवधारणा बन गई है। क्योंकि इन सभी ने एक सुर में बीजेपी पर दलितों और पिछड़ों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुये पार्टी छोड़ने का एलान किया।

भाजपा को इन नेताओं के जाने से ज्यादा चिंता इस परसेप्शन यानि अवधारणा को लेकर थी कि बीजेपी से दलितों और पिछड़ों का मोहभंग हो रहा है। तभी से पार्टी ने इस मुहिम को रफ्तार दे दी कि यूपी में मुख्य प्रतिद्वन्दी समाजवादी परिवार को उसी के सदस्य के जरिए करारा जवाब देने की तैयारी कर ली। अपर्णा यादव  को साथ लेकर भाजपा ने अपनी पार्टी से मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी सहित कई दलित पिछड़े विधायकों के पाला बदलने पर पलटवार किया है। लेकिन बीजेपी का ये भी दांव उल्टा पड़ गया है।

दरअसल भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के परिवार में सेंधमारी कर उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। बुधवार को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपर्णा को पार्टी की सदस्यता दिलाई। लेकिन बीजेपी सांसद और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा ने भाजपा का दामन थामने वाली अपर्णा यादव को लेकर पार्टी मे  पिछड़ों के साथ की जा रही भेदभाव की लड़ाई को और तेज कर दिया है।

ने सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट के जरिए पिछड़ों के साथ किये जा रहे भेदभाव  पर कई सवाल उठाए हैं। भाजपा सांसद ने बुधवार को फेसबुक पर एक पोस्ट किया, ”संस्कार, शब्द अच्छा है लेकिन संस्कार है किसके अंदर? हफ्ते भर पहले एक बेटी का पिता पार्टी बदलता है तो पुत्री पर वार हो रहा था, आज वही एक बहू अपने चचेरे भाई (योगी जी) के साथ एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आती है तो स्वागत। क्या इसको भी वर्ग से जोड़ा जाना चाहिए कि बेटी (मौर्य) पिछड़े वर्ग की है और बहू (विष्ट) अगड़े वर्ग से हैं।”

संघमित्रा ने सवाल किया है, ”क्या बहन-बेटी की भी जाति और धर्म होता है? अगड़ा भाजपा में आता है तो राष्ट्रवादी और वो वोट भाजपा को करेगा या नहीं, इस पर सवाल खड़ा करना तो दूर सोचा भी नहीं जाता, लेकिन पार्टी में रहने वाला राष्ट्रद्रोही, उसके वोट पर सवाल खड़े हो रहे ऐसा क्यों?” फेसबुक पोस्ट की आखिरी लाइन में संघमित्रा मौर्य कहती हैं, ”कृपया सलाह न दे मैं कहां जाऊ और क्या करूं, मैं जहां हूं ठीक हूं।”  संघमित्रा मौर्य के फेसबुक पोस्ट के बाद बीजेपी मे अगड़ों और पिछड़ों के बीच घमासान और तेज हो गया है।