Breaking News

एनसीपीसीआर के समक्ष जिला अधिकारी की पेशी

नई दिल्ली,  पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित जलपाईगुड़ी बाल तस्करी मामले में संबंधित कागजात मांगने पर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने 25 अप्रैल को जलपाईगुड़ी के जिलाधिकारी को तलब किया है और पेश नहीं होने पर आयोग उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुशंसा कर सकता है।

योगी ने डिंपल यादव समेत कर्इ दिग्गज नेताआें की सुरक्षा हटार्इ

आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने कहा, पिछले महीने हमने राज्य के पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव, जिला अधिकारी और कुछ दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले से जुड़े दस्तावेज मांगे थे, लेकिन वे दस्तावेज हमें नहीं मिले। प्रशासन की तरफ से हमारा सहयोग नहीं किया गया। हमने फिर से जिला प्रशासन से कागजात मांगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जिला अधिकारी को सम्मन किया गया।

सरकारी फाइलों से धूल हटाने के लिए सीएम योगी ने जारी किया यह आदेश

उन्होंने कहा, जिला अधिकारी से मामले के संबंधित कागजात के साथ आयोग के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। हम उनसे घटना के पूरे ब्यौरे के बारे में पूछेंगे और कागजात देखेंगे ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके। यह पूछे जाने पर कि अगर जिला अधिकारी पेश नहीं हुए तो आयोग क्या कदम उठायेगा, तो उन्होंने कहा, अगर वह पेश नहीं हुए तो हम आयोग की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुशंसा कर सकते हैं।

ये क्या किया किसानों ने,पिया मूत्र, दी मल खाने की चेतावनी

इस मामले में भाजपा की एक महिला नेता की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया था। आयोग का कहना है कि प्रशासनिक नाकामी छिपाने के लिए इस प्रकरण का राजनीतिकरण किया गया। आयोग ने इस घटना की सच्चाई पता करने के लिए एक टीम मौके पर भेजी थी और यह टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि इस पूरी घटना के लिए जिला प्रशासनिक स्तर की नाकामी और लापरवाही जिम्मेदार है तथा इस पूरे मामले को जानबूझकर राजनीतिक रंग दिया गया।

यूपी पुलिस मे बड़ा फेरबदल-सुलखान सिंह बने नये डीजीपी, देखिये पूरी लिस्ट

एनसीपीसीआर ने यह भी आरोप लगाया कि दौरा करने वाली उसकी टीम को राज्य और जिला प्रशासन से सहयोग नहीं मिला। इस टीम में शामिल रहे प्रियंक कानूनगो ने कहा, मौके का दौरा करने और प्रशासन के लोगों से बातचीत करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि यह पूरा मामला प्रशासनिक नाकामी और लापरवाही की वजह से हुआ। इस मामले में राज्य सरकार बहुत देर से जागी।

सत्ता जाते ही मुलायम सिंह के घर पर बिजली विभाग का धावा, थमाया लाखों का बिल

प्रशासनिक नाकामी छिपाने के लिए मामले का राजनीतिकरण किया गया। बच्चों की तस्करी का यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब पश्चिम बंगाल भाजपा की महिला नेता जूही चौधरी की गिरफ्तारी हुई। दावा यह भी किया गया कि पूछताछ में जूही ने भाजपा के कुछ राष्ट्रीय नेताओं के नाम भी लिए हैं। मामले की जांच पश्चिम बंगाल की सीआईडी कर रही है।

जानिये, मायावती ने किन्हे सौंपा, लखनऊ और कानपुर के मेयर पदों का प्रभार

कानूनगो ने कहा, पश्चिम बंगाल में बाल तस्करी का कोई इकलौता मामला सामने नहीं आया है। यह लंबे समय से चलता आ रहा है। केंद, सरकार की तरफ से जानकारी दिए जाने के बाद राज्य प्रशासन ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपी। कानूनगो ने यह भी आरोप लगाया कि जलपाईगुड़ी में लंबे समय तक बाल कल्याण समिति का गठन नहीं किया गया और इसमें प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है।

मायावती ने किया, बसपा में बड़ा फेरबदल