मुख्य न्यायाधीश ने हाथ में कुरान लेकर पूछा- इसमें तीन तलाक के बारे में कहां लिखा है?
May 18, 2017
नई दिल्ली, तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा, वकीलों को यह नहीं सोचना चाहिए कि जजों की बेंच इस मामले से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। बुधवार को वरिष्ठ वकील वी गिरी के सवालों का जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा, कुरान में कहीं भी तलाक-ए-इबादत या तुरंत तीन तलाक के बारे में उल्लेख नहीं है।
हाथ में पवित्र कुरान लेकर उन्होंने कहा, सिर्फ दो प्रारूप तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-अहसन का ही पवित्र किताब में उल्लेख है। इससे पहले गिरी ने कहा था कि पर्सनल लॉ में संवैधानिक रूप से दखलंदाजी पहले भी हुई है और वहां फैसलों ने प्रथाओं को मार दिया है। उन्होंने बेंच की तरफ कुरान करते हुए कहा, तलाक-ए-इबादत कुरान के सुरह 65 के पैरा 230 में है।
इसपर चीफ जस्टिस मुसकुराए और उन्हें उसे दोबारा पढ़ने को कहा। सीजेआई ने कहा, आपने पहले भी पैरा पढ़ा है और इसके बाद पूरा दृश्य बता रहे हैं। कपिल सिब्बल ने भी कुछ सिलेक्टड चीज का उल्लेख किया है। अगर आप कहते हैं कि हर वचन या घोषणा के बाद इदा की अवधि अनिवार्य है और यह तीसरा उदाहरण है जिसके बाद यह अपरिवर्तनीय हो जाता है।
इसलिए कुरान में तलाक-ए-इबादत कहीं भी जगह नहीं पाता है। मैं इसका उल्लेख सिर्फ इसलिए कर रहा हूं क्योंकि यह जानना चाहिए कि यहां क्या हो रहा है। इस पर एडवोकेट गिरी ने कहा कि मैं अपनी गलती मानता हूं। यह सिर्फ मेरा अनुमान था।
जज ने सुरह 4 के आयत 35 का उल्लेख करते हुए कहा इसके लिए मध्यस्थ की जरूरत होगी। आप पूरे पैराग्राफ को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि यह भी ट्रिपल तालाक को पूरी तरह से शामिल नहीं करता है। कुरान को हाथ में लेकर जस्टिस खेहर ने कहा, यह उन्होंने किसी से लिया है। यह किताब कहती है कि हर शुक्रवार को आप कहते हैं कि बिद्दत खराब है फिर भी इसे प्रैक्टिस में नहीं लाते हैं। हर शुक्रवार की प्रार्थना में आप कहते हैं और अब आप कह रहे हैं कि यह 1400 साल पुरानी आस्था है।