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लालू यादव से बातचीत के बाद, मायावती का राज्यसभा जाना हुआ आसान

नई दिल्ली, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती की जोड़ी, राष्ट्रीय राजनीति मे नया गुल खिला सकती है. लालू प्रसाद यादव ने मायावती को फोन कर वर्तमान राजनैतिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की. जिससे जहां एक ओर मायावती का राज्यसभा जाना आसान हो गया है, वहीं बीजेपी के लिये राष्ट्रपति चुनाव कठिन हो गया है.

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लालू प्रसाद यादव और मायावती के बीच राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई. इससे मायावती के बीजेपी के खिलाफ बन रहे महागठबंधन मे शामिल होने की भी संभावना बढ़ गई है. साथ ही 27 अगस्त को पटना में होने वाली रैली में मायावती  शामिल हो सकती हैं.

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 आजकल लालू यादव, राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एक करने में लगे हैं. बीजेपी भी लालू यादव की इस चाल से आशंकित है, और इसीलिये वह भी सीधे लालू यादव पर अटैक कर रही है. लालू यादव हमेशा से ही मायावती को महागठबंधन में शामिल कराने के पक्ष में रहे हैं. बिहार चुनाव में जीत के बाद वह सपा से बसपा के साथ जुड़कर महागठबंधन बनाने की बात कह चुके हैं. लेकिन इस कोशिश को मायावती ने उस समय सिरे से नकार दिया था. लेकिन अब शायद यह मायावती के लिये, राजनीति मे टिके रहने के लिये जरूरी हो गया है.

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 मायावती के लिये इस समय सबसे बड़ा स्वयं के अस्तित्व का प्रश्न है. 02 अप्रैल, 2018 के बाद उनकी राज्यसभा की सदस्यता समाप्त हो रही है.ऐसे में उन्हें दोबारा निर्वाचित होने के लिए 37 विधायकों की जरूरत होगी, लेकिन यूपी चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ 19 सीटें ही मिली हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन ने उनके लिए राज्यसभा के साथ ही विधान परिषद का रास्ता भी बंद कर दिया है. विधान परिषद सदस्य चुने जाने के लिए उन्हें कम से कम 29 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.

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 मायावती को यह समर्थन दिलवाने मे,लालू प्रसाद यादव सबसे ज्यादा प्रभावी होंगे. समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस मे जिस तरह से उनकी पकड़ है, वैसी किसी और नेता की नही है. सूत्रों के अनुसार,  लालू यादव से बातचीत के बाद मायावती की यह चिंता काफी हद तक दूर हो गयी है.

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 निश्चय ही राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी के खिलाफ अगर ये दो राजनेता मिलतें हैं तो भारतीय राजनीति मे एक नया दौर शुरू हो सकता है. कट्टर हिंदुत्व के खिलाफ , सामाजिक न्याय का नया मोर्चा खड़ा हो सकता है. मंडल – कमंडल का नया संस्करण शीघ्र ही नजर आ सकता है.

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